बुधवार, 9 अक्तूबर 2013

वृद्धाश्रम [लघुकथा]

मेरे पडोसी के पिता जी राम घई हस्पताल में थे | 
अभी कल ही मेरे पास बैठे थे बेचारे परेशान थे |
पूछ रहे थे मुझे यहाँ आए हुए कितने दिन हो गए ?....
मैंने कहा मालूम नहीं उन्होंने फिर जिद्द करके पूछा फिर भी अंदाजा मुझे आए हुए कितना समय हो गया है? 
मैंने कहा लगभग एक महीना हुआ होगा ......
तो बोले फिर वो [छोटा बेटा] मुझे लेने क्यों आ रहा है? अभी दो महीने तो नहीं हुए हैं यह [ बड़ा बेटा ] क्यों भेज रहा है मुझे ? 
इसी उधेड़बुन में शायद वो सुबह तक उठ ही नहीं पाए ,
उनके एक हिस्से ने काम करना बंद कर दिया था और उनको हस्पताल ले जाना पड़ा |
उससे भी बड़ी विडम्भना माँ जिन्दा है और जब अंकल यहाँ होते हैं तो वो दूसरे बेटे के वहां ..... सामान की तरह उनका आदान प्रदान होता है ... 
            यह  सुनकर एक बार फिर आँखें नम थी क्योंकि बार बार मेरे अपने देश के वृद्धों के साथ मेरे देश के युवा कर्णदारों द्वारा यह व्यवहार असहनीय है | शायद इसीलिए वृद्धाश्रमों की कल्पना अब साकार होने लगी है | 
इसलिए याद आ गया कुछ दिन पहले लिखा दोहा .. 

         सीखा उँगली को पकड़ ,चलना जिनके साथ |
          वृद्धावस्था में अभी ,थामों उनका हाथ ||
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रविवार, 15 सितंबर 2013

प्रथम पुरूष को श्रद्धांजलि

कल एक अजीब वाकया हुआ ,मुझे अपनी फेसबुक मित्र पूनम माटिया जी का फ़ोन आया मेरा हाल चाल पूछने के बाद उन्होंने पूछा 
पूनम :आपकी दीपक अरोड़ा जी से कब बात हुई 
मैं :     यही कोई 29 अगस्त को वोह भी केवल whatsapp पर  msg के                   द्वारा क्योंकि मैंने अपनी एक कविता उनको पोस्ट की क्यों ?
          क्या हुआ ? 
पूनम:मुझे किसी का msg आया दीपक अरोड़ा is no more.
मैं:     आपने कन्फर्म किया वोह anjum वाले ही हैं या कोई और ना हो 
पूनम:जी उसने कहा गंगानगर वाले ,आपके पास उनका नंबर होगा आप               उनको कॉल करके देखो और मुझे बताओ क्योंकि मेरे पास उनका               नंबर डिलीट हो गया |
मैं :     ठीक है मैं बात करके आपको बताती हूँ |

         दोस्तो मैंने डरते डरते कांपते हाथों से फ़ोन किया और वोह दीपक जी ने ही उठाया| उनसे थोड़ी देर बात की उन्होंने बताया एक सप्ताह पहले दिल्ली में ही था आपसे मिलने नहीं आ पाया अब दोबारा जरुर आयूंगा |
मैंने पूनम जी को फ़ोन लगाया और बताया आपको गलती लगी है उनसे तो मेरी बात हुई आप msg भेजने वाले से पूछिए कि किस दीपक अरोड़ा जी की बात कर रहे हैं |उन्होंने भी चैन की सांस ली चलो मैं दोबारा बात करती हूँ यह कहकर |
                 इस बातचीत के बाद मैंने ऐसे ही अचानक फेसबुक पर नजर डाली तो वहां पर सबसे पहला जो स्टेटस फ़्लैश हुआ वोह सरोज सिंह जो मेरी जयपुर से बहुत अच्छी दोस्त हैं उनका था और वो वहां किसी दीपक अरोड़ा जी को श्रद्धांजलि दे रहीं थी ,फिर कमेंट्स में ही मैंने उनसे पूछा अरे यह दीपक अरोड़ा जी कौनसे हैं जिनको आप श्रद्धांजलि दे रही हैं तो उन्होंने बताया कि वोह उनके फेसबुक भाई हैं और साथ में उनका फेसबुक लिंक भी दिया | तब मैंने वहां उनकी वाल पर जाकर देखा |
    बहुत दर्दनाक हृदयविदारक घटना ने मन ख़राब सा कर दिया एक दम झकझोर कर रख दिया | यह दीपक जी भी वहीँ गंगानगर के ही रहने वाले थे एक कवि ह्रदय हंसमुख व्यक्तित्व लिए अन्दर कितनी बेचैनी लिए घूमता है आज इन्सान कब क्या हो पल भर की खबर नहीं |फिर भी नफरतें पाले घूमते हैं दूर रहो पर प्यार से रहो बस यही गुज़ारिश है मेरी सभी दोस्तों से | उनके ब्लॉग 'प्रथम पुरूष 'पर जाकर भी उन्हें करीब से जानें | आप अगर कमेंट करें भी तो शायद कोई उसका जवाब नहीं देगा .....
परमात्मा उनकी आत्मा को शांति दे एवं सभी परिजनों को यह दुःख सहने की ताकत दे |

शुक्रवार, 13 सितंबर 2013

सेवा भारती एक संस्कारित संस्था

परिचय  :----

सेवा भारती वैसे तो किसी परिचय का मोहताज़ नहीं है फिर भी बहुत से मित्र होंगें जिनका इससे कभी परिचय नहीं हुआ है तो उनके लिए इतना ही कहना है कि सेवा भारती राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा चालित एक प्रकल्प है। यह मुख्यत: वनवासी क्षेत्रों में कार्य करता है।

शुभारम्भ :---
सबसे पहला प्रकल्प 1978 में शुरू किया गया दिल्ली में ही ,फिर इसका विस्तार दिल्ली के साथ साथ सभी राज्यों में किया गया |अब पूरे देश में इसके लगभग एक लाख से ज्यादा केंद्र कार्यरत हैं |
मुख्य कार्य :--- इसके मुख्य कार्य शिक्षा, संस्कार, सामाजिक जागरूकता, धर्म-परिवर्तन से वनवासियों की रक्षा आदि हैं | इसमें मुख्यता बाल संस्कार , महिलाओं के लिए सौन्दर्य प्रसाधन की शिक्षा ,सिलाई की शिक्षा एवं कंप्यूटर की शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाता है | बाल संस्कार केंद्र छोटे बच्चों को शिक्षित कर संस्कारित कर समाज में बेहतर जीवन जीने की शिक्षा देते हैं जिसका शुल्क मात्र 20रुपये लिया जाता है ताकि बच्चा नियमित स्कूल आए नाकि इससे केंद्र का खर्चा पूरा हो  | इसी तरह सिलाई का शुल्क सिर्फ 50 रुपये और कंप्यूटर का 200 रुपये है |इन प्रकल्पों का मुख्य उद्देश्य बच्चों को बेटिओं को संस्कारित करना है और उनके माता पिता से मेलझोल बढ़ा कर उनको भी इसका हिस्सा बनाना हैं जिसकी एक झलक मैं आप तक पहुंचाती हूँ ....

मेरा परिचय सेवा भारती दिल्ली से 1989 में हुआ इनके मुख्य कार्यालय झंडेवाला में भी काफी आना जाना रहा क्योंकि सामाजिक कार्यों में मेरी शुरू से ही काफी रूचि रही है इसलिए मैं अपने स्कूल में भी गरीब छात्रों की मदद करती रही | फिर शादी के बाद व्यस्तताएं बढ़ गईं इसलिए इनसे सम्पर्क नहीं रहा | अब कुछ महीने पहले ही मेरा दोबारा से इससे संपर्क हुआ उत्तम नगर के ही एक केंद्र पर जो बस्ती में चलाया जाता है |मैंने पीछे तीज का त्यौहार भी वहीँ सब शिक्षकाओं एवं बस्ती की महिलाओं के साथ मनाया |
जैसा कि 10 तारिख को मानधन दिवस होता है तो पास के सभी केन्द्रों की शिक्षकाएं यहीं इक्कठा होती हैं ,इस बार का अनुभव कुछ ख़ास रहा पहले बाहर से ही आपको एक पंक्ति में लगे चप्पल बताते हैं यहाँ जो संस्कार दिए जाते हैं उनको निभाया भी जाता है ,फिर महापुरुषों की तस्वीरें आप में एक नया जोश भर देती हैं | इस बार सुहास राव जोकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राष्ट्रीय सेवा प्रमुख हैं और राम कुमार जी दिल्ली प्रदेश के राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के मंत्री उनके साथ समय व्यतीत करने का अवसर मिला |सुहास राव जी ने सबके परिचय के बाद शिक्षिकाओं से ख़ास तौर पर यह पूछा कि आप जिन बच्चों को पढ़ाते हो उनमें क्या परिवर्तन पाते हो और उनके माता पिता से आपका बराबर संपर्क रहता है तो शिक्षकाओं ने जो जवाब दिए उनसे कोई भी प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता | एक और नया प्रयास जो राष्ट्र सेवक संघ में तो बहुत पुराना है वोह यहाँ पर किया गया ,सहभोज का |

सहभोज :---
जिसमें की सभी शिक्षक और निरीक्षक जो भी खाना लाए थे वो सब एक जगह रख दिया गया और फिर सबको वोही भोजन बाँट दिया गया जिसमें भांति भांति के पकवान सबके साथ मिलकर खाने में एक अलग ही आनंद आया |सेवा भारती वाकई में बच्चों को संस्कारित करने में अहम् भूमिका निभा रही है |कुछ झलकियाँ आप तक पहुंचाती हूँ .....



सुहास राव जी 
सुहास राव जी ,राम कुमार जी 
सहभोज करते हुए सभी 


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बुधवार, 11 सितंबर 2013

181 पर 2,39,106 शिकायतें ,ख़ुशी की बात या शर्म की

181 पर 2,39,106 शिकायतें 
हेल्प लेने में झिझक नहीं रहीं महिलाएं 


इसमें सभी अखबार वाले जो ढोल बजाकर बजाकर कह रहे हैं कि अब महिलाएं हेल्प लेने लगी हैं और एक हेल्पलाइन 181 पर 2,39,106 कॉल अभी तक आ चुके हैं | 
  • नवभारत टाइम्स के अनुसार सोमवार शाम तक 181 नंबर पर 44106 गंभीर मामलों की शिकायत आ चुकी है |
  • सबसे ज्यादा मामले अश्लील कॉल के और डोमेस्टिक वायलेंस के हैं | आगे बताते हैं कि इस हेल्पलाइन को सुनने वालों की संख्या बढ़ाने की सोच रहे हैं क्योंकि सुबह से शाम तक यहाँ घंटी बजती ही रहती है |
सोचने का विषय यह है कि 
  • इतने कानून बनाने के बावजूद भी इतनी कॉल क्यों ?
  • अभी भी नारी का कोई उत्थान क्यों नहीं हुआ है ?
  • नारियां अभी भी खुद को असुरक्षित क्यों समझती हैं ?
  • रात को घर से बाहर निकलने में क्यों डरती हैं ?
  • अभी भी बलात्कार के केस रोज सुनने को मिल रहे हैं क्यों?
हेल्पलाइन की अगर जरुरत पड़ती ही है तो या तो कोई उठाता नहीं या फिर कोई पुरूष कर्मी महिला हेल्पलाइन को उठाता है ,अगर गलती से बात हो तो लाइन बिलकुल भी क्लियर नहीं कि कोई उसमें उचित समय पर सूचित कर हेल्प ले सके ,यह इतने बड़े संघर्ष के बाद वहां की व्यवस्था है यहाँ 16 दिसंबर को गैंग रेप हुआ था |
आखिर कब तक ऐसा ही चलेगा सरकार को अपने विकास कार्यों की उपलब्धियां गिनाने से फुर्सत ही नहीं कब होगा इन सबका मानसिक विकास ताकि यह वोट की राजनीति से बाहर आकर कुछ उचित सोच सकें और फिर उचित निर्णय ले सकें |मुझे यह सोचकर हैरानी है कि यह उपलब्धि है कि हेल्पलाइन पर इतने कॉल आ रहे हैं या शर्म का विषय है |

बुधवार, 4 सितंबर 2013

"गुरु ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वरः। गुरुः साक्षात परब्रह्म तस्मैः श्री गुरुवेः नमः।"

गुरु गोविंद दोउ खड़े काके लागू पाय
बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताय।

कबीरदास द्वारा लिखी गई उक्त पंक्तियाँ जीवन में गुरु के महत्व को वर्णित करने के लिए काफी हैं। भारत में प्राचीन समय से ही गुरु व शिक्षक परंपरा चली आ रही है। गुरुओं की महिमा का वृत्तांत ग्रंथों में भी मिलता है। शिक्षक दिवस भारत में सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी के जन्मदिवस के रूप में 5 सितम्बर को मनाया जाता है |आज मन किया क्यों ना शिक्षक दिवस पर अपने कुछ ऐसे गुरुओं के बारे बताया जाए जो हमेशा से मेरे पथप्रदर्शक रहे |

मेरा ऐसा मानना है कि पहले गुरु हमारे माँ बाप हैं जिन्होंने एक संस्था की तरह संस्कारों से ओतप्रोत कर परिवार में समाज में इस लायक बनाया कि हम सर उठा कर जी सकें | उसमें भी ज्यादा जिम्मेवारी एक माँ की होती है जो जिंदगी के हर पहलू को बड़े सलीके से बड़े लाड़ से सिखाती है| 
        दूसरे गुरु हमारे अध्यापक हैं जिनकी छत्रछाया में हम जिंदगी के इम्तिहान पास करते हुए अनवरत बढते रहे | उन्हीं में से कुछेक को बार बार याद तो किया पर आज कलम उठाली उनके बारे में कुछ बताने की जो जिंदगी भर के लिए मेरे प्रेरणा स्त्रोत बने|
                 क्योंकि तब नर्सरी कक्षा नहीं हुआ करती थी जिंदगी की पहली विधिपूर्वक पढाई के लिए मेरा पहली कक्षा में प्रवेश करवाया गया कादिया जिला गुरदासपुर पंजाब में | तब की जो हमारी पहली कक्षा की अध्यापिका थीं श्रीमती मंगली देवी लाजवाब थीं इतने प्यार से सब सिखा दिया ,उनकी दी गई शिक्षा ताउम्र याद रहेगी |
           एक और महान शक्सियत को याद कर रही हूँ जो उस समय ट्यूशन लेते थे उन्होंने बिलकुल एक कुम्हार की तरह अन्दर से हाथ रखकर और बाहर से ठोक कर हम कच्चे घड़े रूपी शिष्यों का जीवन संवार दिया ,जबकि उनसे पढने का सुअवसर मुझे तो बहुत कम मिला परन्तु अपने शिष्यों को संवारने की लगन उनमें कूट कूट कर भरी हुई थी |
मेरी मुख्याध्यापिका श्रीमती संयोगिता भाटिया ,मेरी अध्यापिकायें  श्रीमती प्रोमिला देवी,श्रीमती अंजू मल्हन, कुमारी सोनिया जी जिन्होंने इस जीवन को संवारने में कोई कसर नहीं छोड़ी |हर कदम पर समझा कर पढाई के साथ साथ मार्गदर्शन भी किया |
स्कूल के अध्यापकों से जो सब सीखने को मिला, एक सफल जीवन की नीव के लिए वोह अतुलनीय रहा, कॉलेज के प्राध्यापक तो बस उस नींव को मजबूत करते रहे जिस पर जीवन रूपी इमारत ख़ड़ी करने में आज सक्षम हुई हूँ |
                  कॉलेज की पढाई के बाद स्कूल चलाने में हर पग पर मेरा साथ दिया मेरे गुरु मेरे पिता जी ने, यहाँ माँ की भूमिका को नहीं भुलाया जा सकता जो परदे के पीछे होते हुए भी साथ साथ थीं | 
          शादी के चार दिन बाद ही क्योंकि भाटिया कॉलेज का ऑफिस संभाल लिया ,तो यहाँ पर मेरे गुरु की भूमिका में रहे मेरे पति श्री यशपाल भाटिया जी जिन्होंने मुझे सार्वजनिक संपर्कता में तत्पर किया | 
            इसके बाद आया कंप्यूटर का जमाना जिसमें मेरा पहला गुरु रहा मेरा बेटा हर्ष भाटिया , फिर आ गया फेसबुक जिसमें सबसे पहले मेरे गुरु रहे श्री परवीन कथूरिया जी ,उसके बाद जिमित शाह और अरुण शर्मा अनंत ने ब्लॉगिंग में बहुत कुछ सिखाया ,फिर डॉ रूपचन्द्र शास्त्री जी ,श्री अरुण निगम जी का अतुलनीय योगदान रहा ,अभी जैसे कि सीखना जारी है और  कुछ और गुरु नाम इसमें शामिल हो जायेंगे | जैसे की सीखने की कोई उम्र नहीं होती इसी प्रकार जरुरी नहीं गुरु आप से बड़ा ही हो | मेरे जीवन में आने वाले हरेक गुरु का मैं तह दिल से सम्मान करती हूँ और उनकी ताउम्र ऋणी रहूंगी|
                 मेहनती गुरुओं के साथ साथ शिष्यों में भी एक अनुशासन की भावना ,सत्कार की भावना, सीखने की लगन तब हुआ करती थी ,गुरु भी अपना कर्तव्य समझ बिना किसी लालच के शिष्यों का मार्गदर्शन करते थे | आज के परिवेश में शिक्षा के मायने बदल चुके हैं साथ ही शिक्षकों की सोच भी जो अब निष्ठावान ,कर्तव्य परायण नहीं रहे ना ही उनको अपने शिष्यों से कोई लगाव रहा है |
इसका सबसे बड़ा कारण हमारा समाज ही है जो आधुनिकता की होड़ में पाछचत्य सभ्यता का अनुकरण कर रहे हैं पर अपनी निष्ठा ,नैतिक मूल्यों को भूलते जा रहे हैं |

सोमवार, 15 जुलाई 2013

मुस्तैद दिल्ली पुलिस या प्रेशर कुकर

दोस्तो कल का ही वाक्या है एक दोस्त के यहाँ जाना हुआ शाम 8 बजे का समय था |उनका कुछ सामान देने जाना था तो मैं भी यश जी के साथ चली गई |वहां जाकर देखा दोस्त के पास एक पुलिस वाला खड़ा था और एक गाड़ी को स्केल से खोलने की कोशिश कर रहा था पर गाड़ी क्योंकि सेंट्रली लॉक थी तो नहीं खुली |कुछ पूछताश से पता चला की गाड़ी जोकि हरियाणा के नंबर की है लाल रंग की परसों सुबह 11 बजे से कोई शराबी खड़ी कर गया था जिसका एक्सील टूट गया था | मैंने कहा अरे कल की खड़ी है तो आपने 100 नंबर पर फ़ोन नहीं किया तो जवाब मिला किया ना भाभी सबसे पहले 100 नंबर पर ही किया तो उन्होंने कहा हाँ देखते हैं उसके बाद हरिनगर थाना में दो बार बोल कर आए | फिर 100 नंबर वाली पीसीआर वैन जो राउंड पर थी उसको भी बोला पर कोई कारवाई नहीं की गई और अब किसी राह जाते पुलिस वाले को पकड़ा तो बहुत मुश्किल से उसने फ़ोन करके क्रेन बुलवाई है ,जो अभी तक आई नहीं थी| मैंने उनको सलाह दी दिल्ली पुलिस के फेसबुक पेज पर डालते तो जल्दी कारवाई हो जाती |
 हम भी लगभग आधा घंटा वहां बैठे तब जाकर क्रेन आई और गाड़ी उठा कर ले गई | अब उनका कहना था कि अगर उसमें बम्ब होता और वोह फट जाता तो हमसे अभी दिल्ली पुलिस उसका हुलिया पूछती घूमती वो कैसा था ?किधर से आया था? क्यों रुका यहाँ ?कहाँ गया ? वगैरह  वगैरह अगर हम बच गए होते तो ,नहीं तो हम कल की न्यूज़ में आपको दिखाई दे रहे होते |
तो बताओ दोस्तो 
  • अब दिल्ली पुलिस को क्या कहें मुस्तैद दिल्ली पुलिस ?
          'आपके साथ हमेशा ' 
  • या प्रेशर कुकर जब प्रेशर पड़ेगा तभी कुछ बनेगा 
दिल्ली पुलिस का रवैया समझना अपने लिए तो मुश्किल है आप ही बताएं क्या दिल्ली पुलिस  कभी अपने स्लोगन पर खुद पूरे उतरेगी  या प्रेशर होगा तभी ही |
गाड़ी की फोटो डाल रही हूँ ,निश्चित हि वोह अभी तक थाना में ही खड़ी  होगी दिल्ली पुलिस फेसबुक पेज पर भी लगा रही हूँ यह | 



बुधवार, 26 जून 2013

देवभूमि के देवदूत और विनाशलीला के लुटेरे

उतराखंड पर जो कहर बरपा है उसकी दास्ताँ थमने का नाम नहीं ले रही हैं | 10 दिन बाद भी समझ नहीं आ रहा कोई कैसे अपनों तक पहुंचे कैसे उनकी तलाश करे ?कौन कब एक देवदूत बन उनकी सहायता को आ जाए और कौन रास्ते में ही सब लूट ले |
जैसे जैसे लोग अपनों तक पहुँच रहें हैं और अपनी आपबीती बयां कर रहे हैं सुनने वालों के रोंगटे खड़े हो रहे हैं वैसे तो आजकल मीडिया बहुत सक्षम है और परिजनों को खोजने में भी सबकी बहुत मदद कर रहा है | |
पर सरकारें हैं की अभी भी अपने वोट बैंकों में उलझी घूम रही हैं |
  देवभूमि के देवदूत :----देवदूत हमें आर्मी वाले तो नजर आ ही रहे हैं वोह किस तरह से सुबह 4 बजे से रात 10 बजे तक बिना थके बिना रुके बिना खाए अपनी जान की परवाह किये बिना दूसरे लोगों की जान बचाने में लगे हैं पर जैसे कि दिल्ली के सकुशल वापिस लौटे लोगों ने आपबीती बताई उन लोगों को भी किसी देवदूत से कम नहीं कहा जा सकता जिन लोगों ने इनकी इस मुश्किल घडी में इतनी सहायता की 
जैसा की अशोक अग्रवाल जी बताते हैं की उनका 1000 लोगों का एक जत्था गंगोत्री पर था 9 तारीख से लेकर 15 तारीख तक वहां भागवत थी  
सुबह उठते ही सबको वहां से निकलना था पर कल किसने देखा था सबका सामान पैक पड़ा था पर निकलना ही नसीब नहीं हुआ ,पूरी रात उन्होंने एक पहाड़ी पर चढ़ कर गुजारी जो थोड़ी सुरक्षित कही जा रही थी  
जैसे ही नीचे उतरे एक गाँव में आकर रुकना पड़ा जहां के स्थानीय लोगों ने जैसे उनकी सहायता की वोह किसी देवदूत से कम नहीं कहे जा सकते अशोक जी के अनुसार सब गाँव वासिओं ने अपने घर से खाना बना बना कर सब रुके हुए लोगों को खिलाया खुद जमीं पर सोकर अपने बिस्तर  कपडे तक लोगो को दिए उन्हें सर्दी से बचाने के लिए ,अपने परिजनों से संपर्क करने के लिए उन्हें अपने फ़ोन सिम कार्ड तक दिए तो बताइए यह लोग किसी देवदूत से कम थे |
  विनाशलीला के लुटेरे :---इन्हीं के अनुसार कुछ लोग ऐसे भी मिले रस्ते में जब उनसे एक चपाती मांगी गई तो 500रुपए ,हजार रुपए तक दिए गए पर उन्होंने नहीं दी और कहा हम क्या खायेंगे हमारे पास खुद ही खाना नहीं है | उन्होंने बरसात का  तरपाल में इक्कठा हो गया पानी पीकर गुजारा किया | जिनके पास पैसे भी नहीं थे कहाँ से खरीदते इतना मंहगा पानी ,भूखे प्यासे ही लोग चलते रहे | 
        हद तो तब हो गई जब सुनसान रास्ता देख लोगों से पैसे सोना लूट लिया गया और कुछ लोग तो लाशों से गहने उतार कर उनके पैसे छीन कर ले गए और कुछ वहशी दरिन्धों ने असहाय माँ बहनों को भी नहीं बक्शा उनकी इज्ज़त तार तार कर कैसे जिन्दा हैं ऐसे लुटेरे खुद की इंसानियत को मार कर |अभी कुछ पकडे गए लोगों से लाखों रुपए मिल रहे हैं साधु के वेश में एक से 1 करोड़ रुपए मिले | कुछ वहशी दरिंदों को भी पकड़ कर पुलिस के हवाले किया गया है इनको बक्शा नहीं जाना चाहिए |
हम सबकी सलामती चाहते हैं और सकुशल वापिसी की कामना करते हैं 
ऐसा हृदयविदारक दिन कभी किसी की जिन्दगी में नहीं आए |
हमें समझना होगा इस आपदा को जो हम सब द्वारा लाई गई है कुदरत के रास्ते रोकने की कोशिश कब प्रलय बन लौट आये कोई नहीं जनता जैसा की विदित है की मन्दाकिनी नदी का रास्ता रोकने के यह भयानक परिणाम हमारे सामने हैं |

सुधर जाओ इंसानों मुश्किल बड़ी है| 
आपदा मुंह खोले सामने खड़ी है ||

गुरुवार, 20 जून 2013

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत

इससे पहली पोस्ट में कुछ दोस्त मेरी पोस्ट से आहत हुए हों तो क्षमाप्रार्थी हूँ ,परन्तु ऐसे भाव हरेक के मन में आये होंगे क्योंकि मेरी ईश्वर में परम आस्था है फिर भी मेरे मन में ऐसे सवाल आये |
          मैं मानती हूँ सब पर एक ही शक्ति काम करती है कोई उसे कृष्ण कहे, प्रभु कहे ,अल्लाह कहे ,ईसामसीह कहे, शिव कहे या राम कहे |भगवान सर्वशक्तिमान है, अदृश्य है, अरूप है |क्योंकि भगवान् कण कण में बसता है ,इसलिए मेरा मूर्ति पूजा में विश्वास न होते हुए भी मुझे हर मनुष्य में ,पाषाण में वोह नजर आता है | यहाँ तक मूर्ति पूजा का सवाल है उस सर्वशक्तिमान के सामने अपना दुःख सुनाने के लिए हम सब ने उसकी एक छवि मन में बसा ली है बस वोह ही उसकी मूर्त है |
        दूसरा इस बात को समझना भी जरुरी है ....
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत ।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥७॥
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् ।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥८॥
भावार्थः जब जब धर्म की हानि होने लगती है और अधर्म आगे बढ़ने लगता है, तब तब मैं स्वयं की सृष्टि करता हूं, अर्थात् जन्म लेता हूं । सज्जनों की रक्षा एवं दुष्टों के विनाश और धर्म की पुनःस्थापना के लिए मैं विभिन्न युगों (कालों) मैं अवतरित होता हूं ।
              जब मनुष्यों के पाप इतने बढ़ जायेंगे तो सृष्टि का विनाश तो होगा ही तभी तो भगवान् स्वयं की सृष्टि करेंगे |
   ईश्वर के वास्तविक स्वरुप को कोई नहीं जानता | बस मेरा यह कहना है कि ईश्वर पर विश्वास हमें दुःख सहने की क्षमता प्रदान करता है और कठिन क्षणों में सांत्वना देता है | फिर भी हमें अंधविश्वासों में नहीं पड़ना चाहिए और आँखें बंद कर अनुसरण न करें ,उसके बारे में जितना जानेंगे उसे उतना ही मानेंगे | अपनी आस्था को कायम रखते हुए धर्म के उत्थान के लिए ही कार्य करें |

अपनी ही निकाली गंगा में जलमग्न हो गए शिव, क्यों ?

बचपन में स्वामी दयानंद की जीवनी में कई बार पढ़ा कि जब घर में एक दिन शिवरात्रि वाले दिन सब पंडित और घर के लोग व्रत रखे शिव की पूजा कर रहे थे ,तभी दयानन्द जी ने देखा सब सोने लगे और एक चूहा आया और शिवजी की प्रतिमा के आगे रखे प्रसाद को खाने लगा ,तभी उनको बोध हुआ कि यह भगवान् अगर सर्व शक्तिमान है तो इसने चूहे को क्यों नहीं हटाया ? तब बाल मन इन्हीं सवालों से परेशान रहा कि वोह शिव नहीं हो सकता जिसने चूहा नहीं हटाया और एक दिन सब घर वगेरह छोड़ दयानंद जी सच्चे शिव की तलाश में निकल पड़े |
            ऐसे ही अनेक सवाल हरेक के मन में कौंध उठे हैं जब गंगोत्री  केदारनाथ ,बद्रीनाथ ,रुद्रप्रयाग ,हरिद्वार में प्रलय मचा है पूरा उतराखंड त्राहि त्राहि कर उठा है 
  • क्या भगवान शिव ने मानव के प्राकृतिक अपव्यय को न सहते हुए रूद्र रूप धारण कर प्रलय मचा दिया है ?
  • क्या शिव वाकई सच्चा शिव है जो अपने ही सब धाम मिटते हुए चुपचाप देखता रहा और अपनी ही निकाली हुई गंगा में जलमग्न हो गया ?
  • चार धाम की यात्रा पर जाने वाले यात्री यानि शिव के पुजारी ही शिव के तांडव में लील लिए गए क्यों ?
  • अगर शिव है तो उससे ऊपर कोई और शक्ति विराजमान है जिसके आगे शिव की भी नहीं चली ,क्यों ?
  • क्या इतनी दूर की कठिन यात्रा कर हम भगवान् को पा सकते हैं,जिसकी हम मूर्ति पूजा या पाषाण पूजा में व्यस्त हैं ?
  • क्या मूर्ति पूजा उचित है ? 
ऐसे कई सवाल मन में उठने लगे हैं दोबारा से सब दृश्य आँखों के सामने आने लगे है | इसे क्या कहें प्राक्रतिक आपदा क्योंकि भगवान् हम से रूठ गए हैं या ग्लोबल वार्मिंग से दिन ब दिन बदतर होते मौसम के हालात जिनकी कोई भविष्यवाणी अब हमारे हाथ में नहीं रही |
               मैं ईश्वर को सर्वशक्तिमान मानते हुए इसे वैज्ञानिक कारणों से हुई उथल पुथल मानती हूँ जो प्रकृति का अपव्यय हो रहा है उसे अनदेखा किया जा रहा है आज सब हिल स्टेशन पर दूरस्थ इलाकों में भी हर वस्तु उपलब्ध कराई जा रही है यात्रिओं के लिए नए नए होटल बनाकर |इसकी मंजूरी सरकार क्यों दे रही है अपनी राजनितिक रोटिया सेंकने के लिए या पैसों के लिए |
            इन सब पर रोक लगाना जरुरी है नहीं तो वोह दिन दूर नहीं जब सूखे से निपटने के लिए भारत को तैयार रहना पड़ेगा | हमें ग्लोबल वार्मिंग पर रोक लगाने के ठोस उपाए ढूंडने होंगे | अपनी राय अवश्य दें |
                              ................................

गुरुवार, 16 मई 2013

शाबाश दिल्ली पुलिस या तमाशाये क्रिकेट कहिए!!

         I P L       I P L       I P L   
    
इंडियन पैसा लीग या इंडियन प्रॉब्लम लीग 

आम जनता को भरमा रहे ,
अपना पाप हैं ये छुपा रहे |

दिल्ली पुलिस के कमिश्नर नीरज कुमार जी जाते जाते अपने 
कार्यकाल में एक बढ़िया कारनामा करके वाहवाही बटोर रहे हैं
कहीं ऐसा तो नहीं उनका हिस्सा नहीं पहुंचा इसलिए पर्दा फाश

श्रीशांत,अजीत चंदेला, अंकित चौहान गिरफ्तार
स्पॉट फिक्सिंग मनी 1 करोड़ 20 लाख
5 मई .9 मई ,15 मई , स्पॉट फिक्सिंग या फिक्सिंग ही फिक्सिंग
10 लाख का एक बाल , 
60 लाख का तौलिया ,
40 लाख का रिस्ट बैंड 
वह री क्रिकेट !
यह क्या किया श्रीसांत ?
तौलिया तो दाग हटाने के लिए होता है ,आपने तो दाग लगा लिए
अपने दामन पर और क्रिकेट पर 
काले कपडे से मुंह ढकने की क्या जरुरत,जब पूरा मुंह ही काला 
हो गया | 
दाल में कुछ काला या पूरी दाल ही काली

अभी बलि का बकरा बने 
श्रीशांत,अजीत चंदेला, अंकित चौहान|
अब अमित सिंह ,सब राजस्थान रॉयल्स के 
दिल्ली ,कराची ,अहमदाबाद ,दुबई से जुड़े तार 
मास्टरमाइंड देश से बाहर 


आप ही बताएं जो काम एक टीम मिलकर नहीं कर सकती है 
वोह अकेले एक गेंदबाज ने कर दिखाया
असंभव सा लगता है ना ,बिना फील्डरों की मदद के
माना कि उसने गेंद ऐसी डाल दी ,पर जरुरी है कि उस पर 
बल्लेबाज चौका या छक्का मारेगा ही और फील्डर भी चुपचाप 
सब होने देगा |
           जब से हमने क्रिकेट के बारे में जाना है समझा है जाना 
है,हमने तो यही सुना है आज का मैच फिक्स है फलां टीम जीतेगी |

तो आज तक क्यों नहीं पहुँच पाई पुलिस उन तक ?
देखिये इसके तार कहाँ कहाँ पहुंचते हैं ?
अंडरवर्ल्ड का हाथ,हवाला से पैसे की आवाजाही कैसे क्यों ?
यह धंधा नहीं तो क्या है ?
राजीव शुक्ला की चुप्पी का क्या कहें ?

काले कपडे से लिया अब क्यों चेहरा ढांप?
पैसे पकड़ कर न कांपे अब क्यों रहे काँप ?

बुधवार, 8 मई 2013

2G, 3G ,CA G,जीजा G,मामा G,भांजा G,कब सुधरोगे G?


आज दो मुख्य फैसले देश की जनता के लिए आए 
1.कर्नाटक में बीजेपी ने सत्ता खोई 
2.कोयला घोटाला में सुप्रीम कोर्ट की सरकार को फटकार 
       कर्नाटक में बीजेपी की सरकार को जनता ने नकार दिया येदुरप्पा के भ्रष्टाचार के कारण सीधा सीधा 70 सीट का नुकसान हुआ बीजेपी को और 42 सीट का फायदा हुआ कांग्रेस को जबकि भाजपा ने भ्रष्टाचार का साथ नहीं दिया ,फिर भी वोह क्यों हारी ?
          दूसरा बड़ा फैसला सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया वोह भी भ्रष्टाचार पर, कोयला घोटाला जिसमें सरकार चारों तरफ से घिरी है पर कुर्सी छोड़ने को तैयार ही नहीं ,कानून मंत्री ,प्रधानमंत्री सब जिसमें सीबीआई का दुरूपयोग करने के कारण सुप्रीम कोर्ट से फटकार खा चुके हैं 
                 कर्नाटक में 7 वर्ष बाद कांग्रेस पूर्ण बहुमत से वापिस आई | उसके हर नेता का यही बयान कि भाजपा भ्रष्टाचार के कारण हारी , इसलिए कर्नाटक की जनता ने उसे नकार दिया ,तो कांग्रेस हर क्षेत्र में फंसी हुई है भ्रष्टाचार के मुद्दे पर, सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही ,जनता लुट रही है ,सीबीआई को सरकार का रट्टू तोता कहा गया |वोह एक जोंक की तरह देश की जनता का खून चूस रही है ,चारों तरफ से घिरी सरकार को कर्नाटक चुनाव जीतने से संजीवनी हाथ लग गई इस जीत को सीढ़ी बना कर वोह 2014 के चुनाव को जीतने की तैयारी में है
इसका आकलन आप करें और जानें कि हमारी सरकार कितनी गिर चुकी है अपने मंत्रिओं को बचाने के लिए कुछ भी कर सकती है| यह तो देश की जनता को सोचना है कि इतने घोटाले करने वाली सरकार, हर बेसिक मुद्दे पर फेल सरकार 

  •  कब सत्ता से बाहर होगी?
  •  कब देश की जनता उसे नकार कर दरकिनार करेगी ?


गुरुवार, 2 मई 2013

आखिर कब तक अपनी बेटी को निर्भया और बेटे को सरबजीत बनाना होगा ?

शुभम दोस्तो

  • आज फिर एक लाश के ऊपर नौकरियो की बौशार हुई है  
  • एक बेगुनाह की बेगुनाही साबित करने की कोशिश हुई उसकी मौत के बाद 
  • फिर से अपने पडोसी ने छुरा घोंपा है ,विश्वासघात किया है 
  • आज फिर से सरकारी तंत्र को होश आया है कुछ पल के लिए
   सरकार की नींद खुलती है एक अनहोनी हो जाने के बाद ,23 वर्ष बहुत लम्बा समय होता है इन्साफ पाने के लिए आखिर क्या कसूर था सरबजीत का और उसके परिवार का,आज उसकी मौत पर पूरा देश सकते में है,अभी 16 दिसम्बर को निर्भया के साथ हुई वीभत्स घटना के बाद भी कुछ ऐसा ही आन्दोलन हुआ देश में ,जैसा आज सरबजीत की बहन ने देशवासियो को झिंझोड़ कर याद दिलाया कि हम इस देश के वासी हैं, 2005 से उसने हर आम ख़ास को अपनी गुहार लगाई ,तब किसी को उसका दुःख नजर क्यों नहीं आया | बहुत सारे सवाल छोड़ गया है सरबजीत फिर से हमारे बीच...
  • क्या सरकार इतनी निकम्मी है कि इसको नहीं नजर आया कि सरबजीत का परिवार कैसे गुजर कर रहा होगा 23 वर्ष तक क्यों नहीं उनको तभी नौकरी दी गई ताकि उनके जख्मों पर कुछ मरहम तो लगाया जा सकता ?
  • आखिर इतने साधन मुहैया करवाने के बाद भी जैसा कि सरकार का कहना है क्यों इतनी बेरोजगारी है ? 
  • क्या एक नौकरी पाने के लिए किसी अपने का मरना जरुरी है ?
  • कब तक चलेगी यह वोट की राजनीति ?
  • अभी और कितने बलिदान होंगे इस सरकार को जगाने के लिए ? 
  • हमें एक घर और एक नौकरी पाने के लिए आखिर कब तक अपनी बेटी को निर्भया और बेटे को सरबजीत बनाना होगा  ?
आखिर कब तक यह सब होता रहेगा लोग मरते रहेंगे हर मसले पर सरकार से एक हल पाने के लिए
आओ स्वयं को इसका हिस्सा माने और अपनी पूरी कोशिश लगाएं इस सरकार की निद्रा भंग करने में