गुरुवार, 17 जुलाई 2014

भाषा सहोदरी हिंदी

दिनांक : 8 दिसम्बर 2014
दिवस : रविवार 
भाषा सहोदरी हिंदी द्वारा आयोजित साहित्यिक परिचर्चा और काव्य गोष्ठी का कार्यक्रम तिवारी भवन में रखा गया था | यह कार्यक्रम 4 बजे शुरू होना था और लगभग सभी गणमान्य अतिथि 4.30 बजे तक पहुँच गए थे | श्री जयकांत मिश्र जी संयोजक ,सखी सिंह,नीलपरी और सुमित के अथक प्रयास से यह कार्यक्रम सार्थक हुआ |
मंच संचालन का कार्यभार संभाला श्री शिव कुमार बिलग्रामी जी ने,अध्यक्षता की श्री सर्वेश चंदौसवी जी ने  और वरिष्ठ पत्रकार श्री राहुल जी ,पत्रकार अवधेश कुमार जी ,डॉ.कुँवर बेचैन जी ,श्री श्याम रूद्र पाठक जी ,श्री अश्वनी चौबे जी ने इस कार्यक्रम में चार चाँद लगाये अपने बहुमूल्य वक्तव्यों से |





सबने अपने अपने अनुभवी सुझाव सबको बताये किस तरह से हिंदी के उत्थान को एक सार्थक दिशा प्रधान की जाये |
परिचर्चा काफी लम्बी चली और फिर सम्मान का कार्यक्रम शुरू हुआ
श्री सर्वेश जी को उनकी 14 पुस्तकों के लिए एक साथ प्रकाशित होने पर बधाई दी गई
श्री लक्ष्मण राव जी को एक चाय वाला होते हुए हिंदी के प्रति उनके प्रेम का सच सामने आया जब उनको सम्मानित किया गया और बताया गया की जब वो यहाँ आये तो केवल दसवीं पास थे और अब वो एम ए की पढाई कर रहे हैं और अभी भी हिंदी भवन के सामने चाय बेचते हैं उनकी 24 पुस्तकें छप चुकी हैं
आदरणीय अश्वनी चौबे जी का हिंदी प्रेम देखकर गदगद हो गई उनको कहीं और से बुलावा आने के बावजूद वो इस कार्यक्रम को छोड़ कर नही जा सके
इसके बाद सर्वेश जी ने गजल गीत गाये |
फिर डॉ कुंवर नेचैन जी ने भी एक गीत गाया |
इसके बाद नवोदित कलकारों को भी समय दिया गया ताकि वो भी अपना कविता पाठ कर सकें | कार्यक्रम की कुछ और झलकियाँ .....





रिपोर्ट ...सरिता भाटिया 

बुधवार, 16 जुलाई 2014

सेवा भारती दिल्ली प्रान्त का चुनाव

दिनांक : 29 जुलाई, 2014.
दिवस   : रविवार 
सेवा भारती केशव कुञ्ज में प्रवेश करते ही बहुत सुखद अनुभूति होती है | यह हरियाली से भरा हुआ है राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का यह मुख्य कार्यालय है यहाँ शुरू में ही एक वातानुकूलित बहुत बड़ा हाल है उसके बाद यहाँ पर निवास के लिए बहुत सारे कमरे हैं यहाँ प्रचारकों के लिए रहने की उचित व्यवस्था है सभी प्रचारक यहाँ आकर ठहरते हैं |

सेवा भारती दिल्ली प्रान्त का चुनाव इसकी मुख्य शाखा केशव कुञ्ज में होना तय हुआ | समय था सुबह 9.30 बजे का ..झंडेवालान मेट्रो स्टेशन पर उतरकर मैंने बैटरी रिक्शा ली और झंडेवालान मंदिर के साथ ही केशवकुंज में प्रवेश किया | मैं जब पहुंची थोड़ी देरी हो चुकी थी बाहर तरीके से चप्पल वगेरह लगा दी गई थी |
अंदर प्रवेश करते ही सबको चन्दन का तिलक किया गया | वातानुकूलित हॉल पूरा खचाखच भरा हुआ था सामने प्रोजेक्टर लगा हुआ था | साइड में सब तरफ कुर्सियां लगी हुई थीं जिन को नीचे बैठने की असुविधा हो रही थी वो सब वहां बैठे थे आधे हाल में सब पुरुष लोग और आधे में सब महिलाएं पंक्तिओं में बैठी हुई थी | सामने मुख्य अतिथि विराजमान थे | जिसमे पूर्व अध्यक्ष तरुण गुप्ता जी ,कार्यक्रम के अध्यक्ष केवल कृष्ण जी ,खंडेलवाल जी उपस्थित थे |इसी हाल के बाएं कोने में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के संस्थापक डॉ.केशव बलिराम हेडगेवार की बहुत ही सुंदर प्रतिमा लगी हुई है |






गायत्री मन्त्र के उच्चारण के साथ सभा का आगाज किया गया | उसके बाद प्रेम सागर जी द्वारा मंच संभाला गया और सालाना रिपोर्ट पूरे विस्तृत तरीके से पढ़ी गई | जैसा कि बताया गया सेवा भारती का गठन हर दो वर्ष बाद किया जाता है |



 चुनाव प्रक्रिया शुरू की गई | चुनाव अधिकारी बनाया गया श्री भगवान दास जी को उन्होंने कार्यकर्ताओं को अध्यक्ष के नाम सुझाने की पेशकश की जिसमे तीन कार्यकर्ताओं ने पूर्व अध्यक्ष तरुण गुप्ता जी का नाम रखा और सब ने ॐ की ध्वनि के साथ हाथ उठाकर उसका अनुमोदन किया और निर्विरोध उनको दोबारा दो वर्ष के लिए चुन लिया गया |
पूर्व महामंत्री रामकुमार जी को ही दोबारा महामंत्री चुन लिया गया 
रामकुमार जी ने फिर अपने मंत्रिमंडल को विस्तार देते हुए सबके नाम घोषित किये | सारी प्रक्रिया पूरी होने पर एक संगठन गीत मीना वडेरा जी द्वारा गाया गया | 
उसके बाद बाहर यहाँ भोजन की व्यवस्था की गई थी सबने पंक्ति में लग कर भोजन लेकर उसका आनंद लिया यहाँ पर एक बात जो अखर रही थी वो थी व्यवस्था ,क्योंकि बैठने की कोई व्यवस्था नहीं थी इसलिए सब इधर उधर बैठकर या खड़े होकर पसीने से लथपथ भोजन ग्रहण कर रहे थे क्योंकि गर्मी अपने चरम पर थी |


रविवार, 13 जुलाई 2014

अखंड भारत पत्रिका विमोचन

दिनांक : 12 जुलाई, 2014.
दिवस : शनिवार 
अखंड भारत .... स्वप्न से यथार्थ तक .... वीरांगना लक्ष्मीबाई विशेषांक लोकार्पण ... साहित्य गौरव .... जिसका बखूबी आयोजन किया गया भाई अरविन्द योगी द्वारा और श्री समोद सिंह चरौरा जी द्वारा इसका संयोजन , एन डी तिवारी भवन के चतुर्थ तल पर किया गया | 
समय रखा गया था सुबह 10 बजे का जबकि कार्यक्रम शुरू हुआ 11.15 बजे  तक | सभी मुख्य अतिथिओं का स्वागत किया गया पुष्पमालाएं भेंट कर के |
इस साहित्यक कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई अध्यक्षता कर रहे डॉ. कुँवर बेचैन जी एवं श्रीमती संतोष कुँवर जी ने जिन्होंने अंत तक बहुत ही सलीके से सारा कार्यक्रम निभाया | 
मुख्य अतिथि की भूमिका में रहे श्री लक्ष्मी शंकर वाजपई जी , उनकी धर्मपत्नी ममता किरण वाजपई जी ,डॉ. उर्मिल जी , श्रीमती शकुंतला जी ,महान व्यंगकार श्री सुभाष चंदर जी एवं आदेश श्रीवास्तव जी |
मंच संचालन में अरविन्द भाई का साथ दिया श्री समोद चरौरा जी ने बाकी का कार्यभार संभाला सुषमा भंडारी जी और छाया पटेल ने जिसने अपनी खुद की बनाई रानी लक्ष्मीबाई की पेंटिंग उपहार स्वरूप मुख्य अतिथिओं को भेंट की |

सबसे पहले अखंड भारत त्रेमासिक पत्रिका के द्वितीय अंक का विमोचन किया गया सभी अतिथिओं द्वारा |
उसके बाद डॉ. कुँवर बेचैन जी की अध्यक्षता में काव्य पथ शुरू हुआ जिसमे मुख्य रूप से पत्रिका में भागेदारी करने वाले सभी रचनाकारों को पूर्णतया इसका मौका दिया गया | जिसमें विशेष आकर्षण रहे पीयूष द्वेदी जी जिन्होंने पूर्ण विकलांग होते हुए भी जिस जज्बे से काव्यपाठ किया वो सराहनीय था |
उसके बाद लक्ष्मी शंकर वाजपई जी ने ,ममता जी ने, उर्मिल जी ने काव्य के रूप में अपने आशीर्वचन दिए |
सभी गणमान्य अतिथिओं का सत्कार किया गया एक सम्मान पत्र, एक स्मृति चिन्ह और एक पटका दे कर | सभी काव्यपाठ करने वाले को भी सम्मान पत्र और एक एक पत्रिका भेंट स्वरूप दी गई |
2 बजे तक सारा कार्यक्रम संपन्न हो चुका था उसके बाद अरविन्द जी ने भवन की कैंटीन में ही पेट पूजा का भी बढ़िया इंतजाम रखा था ,जिसमें पूड़ी आलू के साथ रायता रखा गया था जबकि गर्मी उस समय अपने चरम पर थी तो शीतल जल की उचित व्यवस्था के कारण थोड़ी कम हो रही थी | सबने भोजन का आनंद मिलकर लिया कुछ मीठी गुफ्तगू के साथ |
अतिथिओं को भेजने के बाद हम भी वहां से निकले क्योंकि दिन का समय था तो मेट्रो तक का ऑटो आराम से मिल गया |
एक कार्यक्रम में पहले भी इसी भवन में भाग ले चुकी हूँ इसलिए एक विशेष बात जब भी एन डी तिवारी भवन तक पहुँचने का पता दिया जाता है तो हमेशा लिखा जाता है दीन दयाल उपाध्याय मार्ग पर उर्दू भवन के सामने जिससे समस्या यह होती है कि उर्दू भवन अधिक प्रचलित होने के कारण ऑटो वाला आपको पहले उर्दू भवन ले जाता है दीन दयाल उपाध्याय मार्ग को भूल कर अब उसके सामने जब कुछ नहीं मिलता और वन वे होने के कारण आपको वो वहीँ उतार देता है तो आपको उर्दू भवन में से निकल कर उसके पीछे वाले रास्ते से सड़क पार करने के बाद कोई बैनर लगा नजर आता है तो आप भवन में प्रवेश कर जाते हैं |
दूसरी बड़ी बात यहाँ बाहर कहीं आपको भवन का नाम नजर नहीं आता है जो अंदर प्रवेश करने के बाद ही नजर आता है |
इसलिए आगे से संयोजक ध्यान दें कि उर्दू भवन के सामने ऐसा न लिखें और अगर भवन का रख रखाव करने वालों को कह कर इसका नाम बाहर कहीं लिखा जाये या एक बोर्ड लगा दिया जाये तो बहुत सुविधा हो जाएगी |
या जो लोग वहां कार्यक्रम का अपना बैनर लगाते हैं वो भी ऊपर भवन का नाम लिख सकते हैं |
कार्यक्रम की कुछ झलकियाँ आप सबके लिए सौजन्य राजीव तनेजा जी  ....










रिपोर्ट .... सरिता भाटिया