बुधवार, 3 सितंबर 2014

हम साथ साथ [काव्यगोष्ठी]

दिवस  : मंगलवार 
दिनांक : 2 सितम्बर , 2014.
करीब 12 बजे जब फ़ोन की घंटी बजी तो एक मधुर सी आवाज ने पूछा ... पहचाना आपने ?
नहीं ,मैंने कहा ,जब आप फ़ोन करते नहीं तो कैसे पहचानेंगे |
तभी दूसरी तरफ से आवाज आई मैं किशोर बोल रहा हूँ किशोर श्रीवास्तव |
उन्होंने कहा जोधपुर से एक मित्र और उनकी पत्नी आये हैं और एक घंटे के लिए एक छोटी सी गोष्ठी रखी है हमारे निवास स्थान पर |
मैंने कहा ठीक है आप पता मैसज कर दीजिये |
फिर एक घंटे बाद फ़ोन आया वो लोग पटेल नगर होटल 'औरा दी एशिया' में रुके हैं इसलिए अब गोष्ठी का स्थान वहीँ रखा गया है |
इस तरह एक सुखद शाम कुछ मित्रों के साथ बिताने का सन्देश मिला |
                 6.30 बजे का समय तय हुआ था वहां पहुँचने का तो लगभग सभी वहां पहुँच गए थे | जोधपुर से जो दम्पति का सानिध्य हमें प्राप्त हुआ वो थे श्री अनिल अनवर जी  और उनकी धर्मपत्नी श्रीमती मृदुला श्रीवास्तव जी |

सबका मूल परिचय किशोर जी ने कराया | जो मित्र वहां उनसे मिलने के लिए उपस्थित हुए वो थे किशोर श्रीवास्तव जी ,मेरी दी शशी श्रीवास्तव जी ,प्यारी प्रियंका और हमारी इकलौती श्रोता अन्तिका ,डॉ. अनवर साहिब ,संजय कश्यप जी और उनकी अर्धांगनी भावना जी एवं पंकज त्यागी जी |

सबके परिचय के बाद श्री अनिल अनवर जी ने अपना परिचय दिया कि उन्होंने साहित्य सेवा के लिए लगभग 21 साल पहले रिटायरमेंट ले ली थी और 20 वर्ष से एक मरू गुलशन नामक पत्रिका का संपादन कर रहे हैं |

श्रीमती मृदुला श्रीवास्तव जी एक स्कूल में प्राध्यापिका हैं और कोकिला सी मधुर आवाज की मालकिन |
गोष्ठी का शुभारम्भ किशोर जी के दिशा निर्देश में डॉ अनवर जी ने श्री अनिल अनवर जी को और प्रियंका ने श्रीमती मृदुला जी को पुष्प मालायें पहना कर उनका स्वागत किया |
इसके बाद डॉ. अनवर जी ने नारी पर ही एक रचना पढ़कर गोष्ठी की शुरुआत की |
फिर संजय कश्यप जी ने अपनी रचनाएँ स्त्री पर ही पढ़ीं ,उसके बाद मुझे मौका दिया गया दो तीन कुण्डलिया और एक गीत पढने का ,फिर शशी दी ने रचनाएँ  पढ़ीं |
इसके बाद प्रियंका ने अपनी रचनाओं का लोहा मनवाया क्योंकि उसकी सोच अपनी उम्र के पार कहीं बहुत दूर पहुँचती है जो अनायास ही दिल को छू जाती है उसकी रचनाओं में अपनी मिट्टी की सोंधी सोंधी खुशबू है |
सबने ही उसकी रचनाएँ सुनकर खूब तारीफ़ की |
उसके बाद पंकज जी ने अपनी रचनाएँ पढ़ी |

फिर चला चाय का दौर जिसमें बातचीत चलती रही और पंकज जी ने आखिर अनिल अनवर जी से पूछ ही लिया आपका नाम अनिल और साथ में अनवर ,तो उन्होंने बताया मेरे पड़ोस में नूर अहमद जी रहते जो मुझे प्यार से अनवर बुलाते थे और मैं हिंदी उर्दू दोनों शायरी लिखता हूँ इसलिए यह नाम लिया |

चाय के बाद भावना जी ने एक कहानी सुनाई ,उसके बाद किशोर जी ने अपनी एक दो रचनाएँ रखीं |
फिर अनिल अनवर जी ने टेलीफ़ोन वार्तालाप को 5 कुण्डलिया में बाँध सुनाया और एक खुबसूरत गजल कही |
अंत में मृदुला श्रीवास्तव जी ने अपनी मृदुल आवाज में माँ बोली में एक गीत रखा जिसे सुनकर मन तृप्त हो गया | इस शानदार साँझ का अंत हुआ कुछ यादों को कैमरे में कैद करके जिसकी झलकियाँ आप तक पहुँचाती हूँ इसके साथ ही ..... 






रिपोर्ट : सरिता भाटिया 

शनिवार, 16 अगस्त 2014

मेल मिलाप काव्यगोष्ठी

दिवस  : शनिवार 
दिनांक : 16 अगस्त , 2014.
आज की काव्यगोष्ठी रक्षाबंधन,जन्माष्टमी और स्वतन्त्रता दिवस के मद्देनजर मेल मिलाप काव्यगोष्ठी के रूप में पटेल नगर में श्री पंकज त्यागी जी के घर पर प्रथम त्यागी मेमोरियल ट्रस्ट एवं हम सब साथ साथ के तत्वधान में रखी गई |
इसका शुरू होने का समय तो था 4.30 बजे ,लेकिन काव्यधारा की धाराएँ दूर दूर से चल कर आ रहीं थी इसलिए थोड़ा विलम्ब हुआ तो काव्यगोष्ठी शुरू होते होते 5.30 बज गए |
काव्यगोष्ठी का शुभआरंभ प्रथम त्यागी की तस्वीर के आगे दीप प्रज्वलित कर किया गया जो सबने मिलकर किया |इसके बाद शुरू हुई काव्यगोष्ठी |
काव्यगोष्ठी की मुख्य अतिथि एवं अध्यक्षा का कार्य निर्वाह किया मेरी माँ समान सुश्री डॉ.सरोजिनी प्रीतम जी ने ,जो निश्चय ही किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं |
बहुमुखी प्रतिभा के धनी एवं हास्य की पोटली लिए अपने चिरपरिचित अंदाज में इसका सशक्त संचालन किया श्री किशोर श्रीवास्तव जी ने | जिन्होंने शुरू से लेकर अंत तक सब को अपनी मंत्रमुग्ध आवाज में बांधे रखा |
सह संयोजक श्री पंकज त्यागी जी एवं मंजू त्यागी जी रहे ,जिन्होंने हम सब कविओं को झेला |
इस काव्यगोष्ठी को आयोजित करने का श्रेय दिया गया दीपक गोस्वामी जी  एवं सुषमा शर्मा जी को जिन्होंने कविओं को व्हाट्सएप्प से निकाल कर ड्राइंग रूम में बिठा दिया |
काव्यगोष्ठी का शुभारम्भ सरस्वती वंदना गाकर किया गया मेरी छोटी बहन जैसी प्रियंका राय द्वारा ,जिसकी सुरीली आवाज ने समय बांध दिया |
उसके बाद संजय कश्यप जी ने अपनी रचना से सब का मन जीता ,फिर उनकी धर्मपत्नी भावना जी ने अपनी भावनाएं प्रकट कीं ,तो बस धीरे धीरे एक के बाद एक सब रचनाएँ पढते गए और काव्यधारा निरंतर बहती चली गई |
काव्यगोष्ठी में क्योंकि घरेलू गेट टू गेदर था इसलिए इसमें 16 -17 वक्ता थे इसलिए सब अपनी अपनी रचनाएँ संतोषजनक तरीके से पढ़ते चले गए | मुख्य वक्ता जिन्होंने अपना जलवा दिखाया वो हैं ...
श्री अरविन्द पथिक जी बहुत ही ओजस्वी वीर रस के कवि 
सुषमा भंडारी जी ने एक रचना ,एक गीत गया |
पूनम माटिया जी ने एक नज्म और एक गजल पढ़ी |
मेरी प्यारी दी शशि श्रीवास्तव जी ने दो रचनाएँ पढ़ी |
सोमा बिलास जी ने हिंदी कम जानते हुए भी अपनी रचना में हिंदी का अच्छा परिचय दिया |
सुषमा शर्मा जी ने भी दो रचनाएँ नारी के ऊपर ही पढ़ी|
पंकज त्यागी जी ने भी अपनी रचनाओं की गहराई का परिचय दिया |प्रियंका राय ने माँ पर एक भावपूर्ण गीत गाया और सबको माँ के आँचल की छाँव में ले गई सब आँसू पोंछते हुए देखे गए ,एक रचना नारी और रस्सी पर सुनाई ,बहुत दमदार |
दीपक गोस्वामी जी ने ,निवेदिता झा जी ,संजय कश्यप जी,भावना शर्मा जी ,रमेश बंगलिया जी ने भी बारी बारी रचनाएँ पढ़ी |
भावना शुक्ला जी जो प्राची की संपादिका हैं कुछ दोहे पढ़े और एक रचना 
श्री श्री किशोर वास्तव जी जिन्होंने बीच बीच में अपने व्यंगात्मक अंदाज में अपनी रचनाएँ धीरे धीरे सब पढ़ डाली |
और स्वयं मैंने सरिता भाटिया ने राखी पर दो कुण्डलिया और मेट्रो पर एक रचना पढ़ी |
आखिर में सुश्री डॉ.सरोजिनी प्रीतम जी का फूलों के हार पहनाकर उनका सबके द्वारा स्वागत किया गया और खचेक खचेक यानि सबके साथ कुछ यादगार तस्वीरें ली गई ,इसके बाद उन्होंने अपनी हास्य क्षणिकाएं सुनाई इस आयोजन के लिए सबका धन्यवाद किया और ऐसी इच्छा जताई की ऐसी मेल मिलाप गोष्ठियां होती रहनी चाहिये | ताकि कम लोगों में सबको ज्यादा जानने का मौका मिले |
अंत में श्री किशोर श्री वास्तव जी ने सबका धन्यवाद किया एक सफल और सार्थक गोष्ठी के लिए और सबको भोजन के लिए आमंत्रित किया |
तब तक रात के 8.15 हो चुके थे ,सबने स्वादिष्ट भोजन का आनन्द लिया और सब मधुर यादें लिए हुए अपनी अपनी राह चल दिए ,फिर एक और गोष्ठी में मिलने का वादा करते हुए |
विशेष :--
आज का आयोजन बहुत बढ़िया रहा क्योंकि इसमें कम लोग थे और सबको एक दूसरे को जानने का बेहतर मौका मिला ,भविष्य में ऐसे ही आयोजनों की उम्मीद है | 
शशि दी ,किशोर सर और पंकज त्यागी जी और मंजू त्यागी जी की ख़ास आभारी हूँ |
मुफ्त सलाह :--
समय का अगर थोडा सा ध्यान रखा जाये तो समय पर पहुंचे और समय पर ही वापिस जा सकते हैं ,इसमें चाय पानी रखा जाये ना की खाना ताकि समय पर घर पहुँच कर खाना खाया जा सके और खाने के प्रबंध से भी बच सकते हैं |
सबसे ख़ास और अहम बात फिर वोही गंतव्य स्थान पर पहुँचने की ,जिसमें मेट्रो का रूट तो शामिल होता ही है उसके बारे में जरुर बताया जाये कहाँ से अंदर मुड़ना है वहां सड़क कहीं खोद तो नहीं दी या टेंट से रास्ता बंद तो नहीं है इस चीज का ख़ास ध्यान रखा जाये,तो इससे काफी समय की बचत हो सकती है और परेशानी से बचा जा सकता है |

लेखिका :--सरिता भाटिया 

गुरुवार, 17 जुलाई 2014

भाषा सहोदरी हिंदी

दिनांक : 8 दिसम्बर 2014
दिवस : रविवार 
भाषा सहोदरी हिंदी द्वारा आयोजित साहित्यिक परिचर्चा और काव्य गोष्ठी का कार्यक्रम तिवारी भवन में रखा गया था | यह कार्यक्रम 4 बजे शुरू होना था और लगभग सभी गणमान्य अतिथि 4.30 बजे तक पहुँच गए थे | श्री जयकांत मिश्र जी संयोजक ,सखी सिंह,नीलपरी और सुमित के अथक प्रयास से यह कार्यक्रम सार्थक हुआ |
मंच संचालन का कार्यभार संभाला श्री शिव कुमार बिलग्रामी जी ने,अध्यक्षता की श्री सर्वेश चंदौसवी जी ने  और वरिष्ठ पत्रकार श्री राहुल जी ,पत्रकार अवधेश कुमार जी ,डॉ.कुँवर बेचैन जी ,श्री श्याम रूद्र पाठक जी ,श्री अश्वनी चौबे जी ने इस कार्यक्रम में चार चाँद लगाये अपने बहुमूल्य वक्तव्यों से |





सबने अपने अपने अनुभवी सुझाव सबको बताये किस तरह से हिंदी के उत्थान को एक सार्थक दिशा प्रधान की जाये |
परिचर्चा काफी लम्बी चली और फिर सम्मान का कार्यक्रम शुरू हुआ
श्री सर्वेश जी को उनकी 14 पुस्तकों के लिए एक साथ प्रकाशित होने पर बधाई दी गई
श्री लक्ष्मण राव जी को एक चाय वाला होते हुए हिंदी के प्रति उनके प्रेम का सच सामने आया जब उनको सम्मानित किया गया और बताया गया की जब वो यहाँ आये तो केवल दसवीं पास थे और अब वो एम ए की पढाई कर रहे हैं और अभी भी हिंदी भवन के सामने चाय बेचते हैं उनकी 24 पुस्तकें छप चुकी हैं
आदरणीय अश्वनी चौबे जी का हिंदी प्रेम देखकर गदगद हो गई उनको कहीं और से बुलावा आने के बावजूद वो इस कार्यक्रम को छोड़ कर नही जा सके
इसके बाद सर्वेश जी ने गजल गीत गाये |
फिर डॉ कुंवर नेचैन जी ने भी एक गीत गाया |
इसके बाद नवोदित कलकारों को भी समय दिया गया ताकि वो भी अपना कविता पाठ कर सकें | कार्यक्रम की कुछ और झलकियाँ .....





रिपोर्ट ...सरिता भाटिया 

बुधवार, 16 जुलाई 2014

सेवा भारती दिल्ली प्रान्त का चुनाव

दिनांक : 29 जुलाई, 2014.
दिवस   : रविवार 
सेवा भारती केशव कुञ्ज में प्रवेश करते ही बहुत सुखद अनुभूति होती है | यह हरियाली से भरा हुआ है राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का यह मुख्य कार्यालय है यहाँ शुरू में ही एक वातानुकूलित बहुत बड़ा हाल है उसके बाद यहाँ पर निवास के लिए बहुत सारे कमरे हैं यहाँ प्रचारकों के लिए रहने की उचित व्यवस्था है सभी प्रचारक यहाँ आकर ठहरते हैं |

सेवा भारती दिल्ली प्रान्त का चुनाव इसकी मुख्य शाखा केशव कुञ्ज में होना तय हुआ | समय था सुबह 9.30 बजे का ..झंडेवालान मेट्रो स्टेशन पर उतरकर मैंने बैटरी रिक्शा ली और झंडेवालान मंदिर के साथ ही केशवकुंज में प्रवेश किया | मैं जब पहुंची थोड़ी देरी हो चुकी थी बाहर तरीके से चप्पल वगेरह लगा दी गई थी |
अंदर प्रवेश करते ही सबको चन्दन का तिलक किया गया | वातानुकूलित हॉल पूरा खचाखच भरा हुआ था सामने प्रोजेक्टर लगा हुआ था | साइड में सब तरफ कुर्सियां लगी हुई थीं जिन को नीचे बैठने की असुविधा हो रही थी वो सब वहां बैठे थे आधे हाल में सब पुरुष लोग और आधे में सब महिलाएं पंक्तिओं में बैठी हुई थी | सामने मुख्य अतिथि विराजमान थे | जिसमे पूर्व अध्यक्ष तरुण गुप्ता जी ,कार्यक्रम के अध्यक्ष केवल कृष्ण जी ,खंडेलवाल जी उपस्थित थे |इसी हाल के बाएं कोने में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के संस्थापक डॉ.केशव बलिराम हेडगेवार की बहुत ही सुंदर प्रतिमा लगी हुई है |






गायत्री मन्त्र के उच्चारण के साथ सभा का आगाज किया गया | उसके बाद प्रेम सागर जी द्वारा मंच संभाला गया और सालाना रिपोर्ट पूरे विस्तृत तरीके से पढ़ी गई | जैसा कि बताया गया सेवा भारती का गठन हर दो वर्ष बाद किया जाता है |



 चुनाव प्रक्रिया शुरू की गई | चुनाव अधिकारी बनाया गया श्री भगवान दास जी को उन्होंने कार्यकर्ताओं को अध्यक्ष के नाम सुझाने की पेशकश की जिसमे तीन कार्यकर्ताओं ने पूर्व अध्यक्ष तरुण गुप्ता जी का नाम रखा और सब ने ॐ की ध्वनि के साथ हाथ उठाकर उसका अनुमोदन किया और निर्विरोध उनको दोबारा दो वर्ष के लिए चुन लिया गया |
पूर्व महामंत्री रामकुमार जी को ही दोबारा महामंत्री चुन लिया गया 
रामकुमार जी ने फिर अपने मंत्रिमंडल को विस्तार देते हुए सबके नाम घोषित किये | सारी प्रक्रिया पूरी होने पर एक संगठन गीत मीना वडेरा जी द्वारा गाया गया | 
उसके बाद बाहर यहाँ भोजन की व्यवस्था की गई थी सबने पंक्ति में लग कर भोजन लेकर उसका आनंद लिया यहाँ पर एक बात जो अखर रही थी वो थी व्यवस्था ,क्योंकि बैठने की कोई व्यवस्था नहीं थी इसलिए सब इधर उधर बैठकर या खड़े होकर पसीने से लथपथ भोजन ग्रहण कर रहे थे क्योंकि गर्मी अपने चरम पर थी |


रविवार, 13 जुलाई 2014

अखंड भारत पत्रिका विमोचन

दिनांक : 12 जुलाई, 2014.
दिवस : शनिवार 
अखंड भारत .... स्वप्न से यथार्थ तक .... वीरांगना लक्ष्मीबाई विशेषांक लोकार्पण ... साहित्य गौरव .... जिसका बखूबी आयोजन किया गया भाई अरविन्द योगी द्वारा और श्री समोद सिंह चरौरा जी द्वारा इसका संयोजन , एन डी तिवारी भवन के चतुर्थ तल पर किया गया | 
समय रखा गया था सुबह 10 बजे का जबकि कार्यक्रम शुरू हुआ 11.15 बजे  तक | सभी मुख्य अतिथिओं का स्वागत किया गया पुष्पमालाएं भेंट कर के |
इस साहित्यक कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई अध्यक्षता कर रहे डॉ. कुँवर बेचैन जी एवं श्रीमती संतोष कुँवर जी ने जिन्होंने अंत तक बहुत ही सलीके से सारा कार्यक्रम निभाया | 
मुख्य अतिथि की भूमिका में रहे श्री लक्ष्मी शंकर वाजपई जी , उनकी धर्मपत्नी ममता किरण वाजपई जी ,डॉ. उर्मिल जी , श्रीमती शकुंतला जी ,महान व्यंगकार श्री सुभाष चंदर जी एवं आदेश श्रीवास्तव जी |
मंच संचालन में अरविन्द भाई का साथ दिया श्री समोद चरौरा जी ने बाकी का कार्यभार संभाला सुषमा भंडारी जी और छाया पटेल ने जिसने अपनी खुद की बनाई रानी लक्ष्मीबाई की पेंटिंग उपहार स्वरूप मुख्य अतिथिओं को भेंट की |

सबसे पहले अखंड भारत त्रेमासिक पत्रिका के द्वितीय अंक का विमोचन किया गया सभी अतिथिओं द्वारा |
उसके बाद डॉ. कुँवर बेचैन जी की अध्यक्षता में काव्य पथ शुरू हुआ जिसमे मुख्य रूप से पत्रिका में भागेदारी करने वाले सभी रचनाकारों को पूर्णतया इसका मौका दिया गया | जिसमें विशेष आकर्षण रहे पीयूष द्वेदी जी जिन्होंने पूर्ण विकलांग होते हुए भी जिस जज्बे से काव्यपाठ किया वो सराहनीय था |
उसके बाद लक्ष्मी शंकर वाजपई जी ने ,ममता जी ने, उर्मिल जी ने काव्य के रूप में अपने आशीर्वचन दिए |
सभी गणमान्य अतिथिओं का सत्कार किया गया एक सम्मान पत्र, एक स्मृति चिन्ह और एक पटका दे कर | सभी काव्यपाठ करने वाले को भी सम्मान पत्र और एक एक पत्रिका भेंट स्वरूप दी गई |
2 बजे तक सारा कार्यक्रम संपन्न हो चुका था उसके बाद अरविन्द जी ने भवन की कैंटीन में ही पेट पूजा का भी बढ़िया इंतजाम रखा था ,जिसमें पूड़ी आलू के साथ रायता रखा गया था जबकि गर्मी उस समय अपने चरम पर थी तो शीतल जल की उचित व्यवस्था के कारण थोड़ी कम हो रही थी | सबने भोजन का आनंद मिलकर लिया कुछ मीठी गुफ्तगू के साथ |
अतिथिओं को भेजने के बाद हम भी वहां से निकले क्योंकि दिन का समय था तो मेट्रो तक का ऑटो आराम से मिल गया |
एक कार्यक्रम में पहले भी इसी भवन में भाग ले चुकी हूँ इसलिए एक विशेष बात जब भी एन डी तिवारी भवन तक पहुँचने का पता दिया जाता है तो हमेशा लिखा जाता है दीन दयाल उपाध्याय मार्ग पर उर्दू भवन के सामने जिससे समस्या यह होती है कि उर्दू भवन अधिक प्रचलित होने के कारण ऑटो वाला आपको पहले उर्दू भवन ले जाता है दीन दयाल उपाध्याय मार्ग को भूल कर अब उसके सामने जब कुछ नहीं मिलता और वन वे होने के कारण आपको वो वहीँ उतार देता है तो आपको उर्दू भवन में से निकल कर उसके पीछे वाले रास्ते से सड़क पार करने के बाद कोई बैनर लगा नजर आता है तो आप भवन में प्रवेश कर जाते हैं |
दूसरी बड़ी बात यहाँ बाहर कहीं आपको भवन का नाम नजर नहीं आता है जो अंदर प्रवेश करने के बाद ही नजर आता है |
इसलिए आगे से संयोजक ध्यान दें कि उर्दू भवन के सामने ऐसा न लिखें और अगर भवन का रख रखाव करने वालों को कह कर इसका नाम बाहर कहीं लिखा जाये या एक बोर्ड लगा दिया जाये तो बहुत सुविधा हो जाएगी |
या जो लोग वहां कार्यक्रम का अपना बैनर लगाते हैं वो भी ऊपर भवन का नाम लिख सकते हैं |
कार्यक्रम की कुछ झलकियाँ आप सबके लिए सौजन्य राजीव तनेजा जी  ....










रिपोर्ट .... सरिता भाटिया 

रविवार, 29 जून 2014

'काफिला' काव्यगोष्ठी

दिनांक 28 जून,2014.
दिवस शनिवार 
काफ़िला ..शब्दों का सुहाना सफ़र .. काव्यगोष्ठी का आयोजन मुकेश कुमार सिन्हा जी ,अंजू चौधरी जी एवं हिन्द युग्म प्रकाशन के कर्ता धर्ता शैलेष भारतवासी जी के अथक प्रयासों से सफलता पूर्वक हिंदी भवन में उसके तृतीय तल पर किया गया |

शाम 5.30 बजे का समय था कार्यक्रम शुरू होने का सबसे पहले जाते ही अल्पाहार समोसे रसगुल्ले ,चाय के साथ शुरू हुआ | इसके बाद मुख्य अतिथिओं के पहुँचने पर लगभग 6.15 बजे कार्यक्रम शुरू किया गया |

कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य था सबके साथ बातचीत और सबका काव्यपाठ जो बहुत ही सफलतापूर्वक पूरा हुआ | हिन्द युग्म की ओर से काव्यगोष्ठी का यह पहला प्रयास था ....'' काफ़िला ...शब्दों का सुहाना सफ़र '' अपने नाम की तरह ही कार्यक्रम भी बहुत ही मनभावन रहा |

इस कार्यक्रम में उन सभी लेखकों को आमंत्रित किया गया था जिनकी भी संयुक्त काव्य संग्रह कस्तूरी ,पगडंडियाँ ,गुलमोहर ,तुहिन और गूंज में रचनाएँ थीं | तीन काव्य संग्रह कस्तूरी ,पगडंडियाँ और गुलमोहर प्रकाशित हो चुके हैं जबकि तुहिन और गूंज अभी आने बाकी हैं |

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रहे आदरणीय लक्ष्मी शंकर वाजपई जी ,आदरणीया सुमन केशरी जी और गीता श्री जी ,तालिओं की गूंज एवं फूलों के गुलदस्तों के साथ सभागार में उनका स्वागत किया गया | सुमन केशरी जी अंत समय तक सबके साथ बनी रहीं |

मुख्य रूप से मंच संभाला आदरणीय केदारनाथ जी ने , उनका साथ दिया भाई मुकेश सिन्हा जी ने एवं पवन अरोड़ा जी ने |

सबसे पहले दिल्ली के बाहर से आये कवियों को काव्यपाठ का सुअवसर दिया गया और समय की कोई पाबंधी नही रखी गई सबने दो दो तीन तीन रचनाएँ पढ़ डाली | अलग अलग विधा के सुंदर रूप सुनने को मिले ,समय जैसे पंख लगा उड़ने लगा | 
जब 8.15 का समय हुआ तो मुख्य अतिथि लक्ष्मी शंकर वाजपई जी और गीता श्री जी को थोड़ी बेचैनी होने लगी क्योंकि 10 -12 लोगों का काव्य पाठ अभी बाकी था इसलिए आदरणीय वाजपई जी को काव्य पाठ के लिए आमंत्रित किया गया | उन्होंने कुछ दोहे और अपनी कविता पढ़ी | गीता श्री जी बिना कुछ बोले ही चली गई | उसके बाद आदरणीया सुमन केशरी जी ने अपनी एक कविता पढ़ी और सबके साथ बनी रहीं |

उसके बाद बाकी सबने अपनी रचनाएँ बारी बारी रखीं जिसमें लगभग 9.30 बजे का समय हो गया | फिर सभी को स्मृति चिन्ह से सम्मानित किया गया | क्योंकि मेरी कुछ रचनाएँ भी तुहिन काव्य संग्रह में आ रही हैं इसलिए मुझे भी यह सुअवसर प्राप्त हुआ |

इसके बाद बाहर निकलते ही गर्म गर्म मैक पफ्फ़ और बर्गर के साथ फ्रेसिका दी गई | जिसे खाते हुए सब विदा लेते रहे | समय हो गया 9.50 जब काफ़िले के आखिरी पड़ाव पर पहुंचे और सबने विदा ले ली |

एक सलाह आयोजकों को देना चाहूंगी वो भी मुफ्त में ...

काव्य पाठ में समय सीमा की थोड़ी सी बंदिश जरूरी है क्योंकि बाद में जिनका नंबर आता है एक तो उनको कोई सुनता नहीं है और दूसरा उनको अपनी रचनाएँ इतनी जल्दी जल्दी में पढनी पड़ती हैं जो प्रभावहीन रहती हैं |
आखिरी सुझाव यह है कि ऐसे सभी कार्यक्रम हिंदी भवन के आसपास होते हैं तो वहां से वापिसी के लिए कोई ऑटो सुविधा उपलब्ध नहीं रहती है इसलिए या तो कार्यक्रम समाप्त होने का इंतज़ार करना पड़ता है ताकि कोई आपको मेट्रो तक छोड़ दे या फिर ऐसे कार्यक्रम से गैरहाजिर रहना पड़ता है इसलिए यह आयोजन थोड़ा सा जल्दी रखे जाने चाहिए ताकि तय समय से फ्री होकर सब अपने गंतव्य तक पहुँच सकें |

इस कार्यक्रम की कुछ झलकियाँ ....











           रिपोर्ट .... सरिता भाटिया 



शनिवार, 31 मई 2014

मांडवी प्रकाशन के दो दशक

दोस्तों 29.05.2014 का दिन कुछ विशेष रहा विशेषता का श्रेय जाता है मांडवी प्रकाशन के मनु भारद्वाज 'मनु'जी को जिन्होंने अपने दमदार निर्देशन में मांडवी प्रकाशन के बीते 20 बरसों का लेखा जोखा दिया एक शानदार सम्मान समारोह के जरिये जिसमें कुछ विदेशी और बहुत से देसी दोस्तों से मिलने का सुअवसर प्राप्त हुआ | एक दिन पहले ही मनु जी से बात हुई कि मैं भी इसमें कविता पाठ करना चाहती हूँ तो बड़ी ही सरलता से उन्होंने इसके लिए मुझे आमंत्रित कर दिया अपने इस शानदार आयोजन का हिस्सा बनने के लिए |
यह इतफ़ाक ही है कि कुछ दिन पहले मैंने बहुत ढूंडा कि किसकी गजलें पढ़ी मैंने जो मेरे अभी अभी दोस्त बने हैं पर नहीं मिला और जब मनु जी ने यह घोषणा की कि वो 17 बरस की उम्र से गजलें लिख रहे हैं तो ध्यान आया मैं जिनको ढूंड रही थी वो मनु जी ही हैं |
खुबसूरत मंच संचालन और अनेकों प्रतिभाओं के धनी भाई मनु भरद्वाज जी से मुलाकात कर और उनके बारे में आदरणीय सुभाष चंद्र जी से सुनकर अवाक रह गई वाकई उनमें जो आग है वो कहाँ तक पहुंची है कौन कौन नहीं उनका मुरीद हुआ इस बात का जायजा उस भरे हुए सभागार से लगाया जा सकता है ,जिसमें सब नामी गिरामी हस्तिओं ने हिस्सा लिया |
विशिष्ट अतिथि जिन्होंने मंच की शोभा बढाई उनमे सर्वश्री सुभाष चंदर, अध्यक्ष (प्रख्यात व्यंग लेखक), मलिकजादा जावेद (मशहूर शायर ), मोईन शादाब (मशहूर शायर /सहारा चेनल) ....... हिंदी के प्राध्यापक और चर्चित वक्ता हरीश नवल जी और मनु जी के गुरु जी (जो बरेली से आये थे ) 
विशिष्ट अतिथिओं के सम्मान के बाद शुरू हुआ विमोचन जिसमें राम जी ,सीमा जी और सिया जी ने भाग लिया सभी लेखक लेखिकाओं के साथ 
सखि रमा शर्मा जी द्वारा सम्पादित कुछ व्यक्तिगत और कुछ साँझा संकलनों का सफल विमोचन किया गया |

दिल की बातें                   : रमा शर्मा 
देहरी पर दीपक                : रमा शर्मा 
अपना अपना आसमान    : संपादित रमा शर्मा (साझा काव्य संकलन)
अपनी अपनी धरती         : संपादित रमा शर्मा (साझा काव्य संकलन)
अपने अपने सपने            : संपादित रमा शर्मा (साझा काव्य संकलन)
भीड़ में तन्हा                   : अक्षित शर्मा 
तितलियों के ख्याल         : सीमा गुप्ता 

विशेषकर अपनी प्यारी सखी सखि सिंह की आभारी हूँ जिसने समय का अभाव होते हुए भी मुझे बोलने का मौका दिया और भाई राजीव तनेजा जी जो कभी भी किसी का ख़ास लम्हा कैमरे में कैद करने से नहीं चूकते ,शुक्रिया सखि और राजीव जी ...
मांडवी प्रकाशन की शान में दो पंक्तियाँ जो मैंने अपनी रचना से पहले पढ़ी

मंच मांडवी का सजा खुश हैं अतिथी विशेष
पूर्ण हुए हैं दो दशक शुभकामना अशेष ||

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सोमवार, 3 मार्च 2014

विधवा पेंशन

इन्दु अपने मंडल की पेंशन प्रमुख थी ..किसी भी बुजुर्ग महिला या बहन को पेंशन लगवानी होती तो झट उससे संपर्क करतीं ....
अपनी कॉलोनी की सभी महिलाओं की चाहे वो वृद्ध हो ,विधवा हो या तलाकशुदा हो उसने बिना किसी अड़चन के पेंशन लगवा दी थी ....
समय ने करवट ली ...... उसके पति का आकस्मिक देहांत हो गया ...
कुछ समय बीत जाने  पर उसकी एक ख़ास सहेली ने उसे सुझाव दिया ...
भाभी आप ने पेंशन के लिए अपना फॉर्म भरवाया ....
थोड़ा चुप रहकर फिर कहा ..यह तो सरकार दे रही है लेने में क्या हर्ज है ..
इंदु मूक खड़ी थी ...वो उसको कोई जवाब नहीं दे पाई थी जबकि उसने कुछ गलत नहीं कहा था पर ना जाने क्यों उसे चुभ सी गई थी यह बात और उसके दिल से हूक सी उठी थी ...

शुक्रवार, 21 फ़रवरी 2014

सेवा भारती भजन प्रतियोगिता

7 फरवरी शुक्रवार का दिन निश्चित हुआ था ....दिल्ली प्रान्त में सेवा भारती की सभी मंडलियों की अंतिम भजन प्रतियोगिता का |
आज की प्रतियोगिता झंडेवालान मंदिर में होनी थी ...वहाँ पहुँचने का समय था 1 बजे ...
हमने उत्तम नगर से मेट्रो ली वहीँ पूरी मंडली से मुलाकात हो गई ,झंडेवालान मेट्रो स्टेशन पहुंचकर अगर आप पैदल जाना चाहते हैं तो आप 15 मिनट में पहुँच जायेंगे नहीं तो आप बैटरी रिक्शा लेकर पहुँच सकते हैं | हम 1.25 पर मंदिर में पहुँच गए थे कुछ मंडलियाँ आ चुकी थी कुछ अभी आ रही थी | एक कार्यकर्ता भजन गा रही थी क्योंकि अभी प्रतियोगिता शुरू होने में थोड़ा समय था इसलिए कुछ बहनों द्वारा भजन बोले जा रहे थे |
लगभग 2 बजे भजन प्रतियोगिता शुरू हुई क्योंकि तीनों जज आ चुके थे उनमें एक श्रीमती रेनू पाठक थीं जो कि अखिल भारतीय सेवा भारती का कार्यभार संभालती हैं बाकी दो जज दिल्ली के ही थे |
कुल 12 मण्डलियो की प्रतियोगिता थी ,हर विभाग से दो दो चयनित मंडलियाँ वहाँ पधारी थीं .....
दिल्ली प्रान्त के छह विभाग निम्नलिखित हैं .....
1.झंडेवालान विभाग 
2.यमुना विहार विभाग 
3.पूर्वी विभाग 
4.पश्चिमी विभाग
5.उत्तरी विभाग 
6.दक्षिणी विभाग 
सभी मंडलियाँ अपनी एक जैसी ड्रेस में सजी हुई ...पंक्तिओं में बैठी थीं ......
झंडेवालान मंदिर के सामने ही सेवाभारती की झंडेवालान शाखा का कार्यलय है |झंडेवालान मंदिर में रात को कोई जागरण होना था इसलिए काफी ऊँची स्टेज बनाई गई थी जिसका इस्तेमाल करने के लिए सेवाभारती को अनुमति मिल गई थी ... दोनों साइड में कुर्सियां रखी गई थी जिसपर निरिक्षिकाएं ,अतिथिगण एवं महिला मंडल के सदस्य विराजमान थे | 
सबसे पहले दीप प्रज्वलित किया गया कुछ मुख्य अतिथिओं द्वारा फिर शुरू हुआ रंगारंग कार्यक्रम ......
सब मंडलियो ने बारी बारी एक एक भजन गाया बहुत ही शालीनता के साथ एक मंडली इंतज़ार में खड़ी रहती तब तक उन सब को मंदिर की तरफ से भेट स्वरुप माता के आशीर्वाद के रूप में एक एक चुन्नी दी जाती और एक मंडली अपना भजन प्रस्तुत करती | इसी तरह बारी बारी भजन प्रस्तुत हो रहे थे | सब मंडलियो ने बारी बारी एक एक भजन गाया जिसे सुनते सुनते 3.30 हो चुके थे | ....
उसके बाद तीनों जज अपना परिणाम तैयार करने में लग गए ,तब तक कुछ बहनों ने भजन गाए | रेणुका पाठक जी ने सभी बहनों को कुछ चुनाव प्रक्रिया के बारे में बताया और अपना वोट बनवाने की प्रक्रिया समझाई | तब तक परिणाम तैयार हो चुका था .....
परिणाम रेनू पाठक जी द्वारा घोषित किया गया जिसमें प्रथम और तृतीय स्थान झंडेवालान विभाग को मिला और द्वितीय स्थान यमुना विहार विभाग को मिला | प्रथम स्थान वालों को एक एक बड़ी कडाही ,द्वितीय स्थान वालों को एक एक साड़ी और तृतीय स्थान वालों को स्टील के डिब्बे दिए गए बाकी के सभी प्रतिभागीओं को एक एक चूड़ियाँ रखने का डिब्बा मिला | 
इसके बाद बाकी श्रदालुओं से अलग दो पंक्तिओं में ले जाकर सभी को मंदिर में दर्शन कराये गए ...उसके बाद हलवा चने और चाय वगेरह दी गई ...जिसके बाद सब अपने अपने गंतव्य की तरफ चल पड़े |
वहाँ की कुछ तस्वीरें आप तक पहुँचाती हूँ.....












                                        रिपोर्टर :--- सरिता भाटिया 


बुधवार, 5 फ़रवरी 2014

सेवा भारती में बसन्त उत्सव

बसंत पंचमी का दिन इस बार मेरे लिए बहुत आनंद्नीय रहा | सेवा भारती जोकि एक संस्कारी संस्था है जो बस्तिओं में बच्चों के चरित्र निर्माण के इलावा महिलाओं में भी आत्मविश्वास पैदा करती है | इसमें बसंत उत्सव एक अलग तरीके से मनाया गया | कल सुबह 11 बजे रघुबीर नगर में सेवा भारती के केंद्र पर पहुंचना था | मैं ठीक समय पर वहाँ पहुँच गई थी | उसमें अन्दर प्रवेश करते ही जैसा की एक अपनापन सा नज़र आने लगा | ऊपर काफी बड़ा हाल था जिसमें प्रोग्राम होना था | उसके बाहर सबने पंक्तिओं में चप्पल जूते निकाल दिए थे | अन्दर प्रवेश करते ही सारा आलम रंगीन नज़र आने लगा जैसे इन्द्र धनुषी छटा बिखेर दी गई हो | सब महिलायें इन्द्रधनुषी नज़र आ रही थी | 
यहाँ बसंत उत्सव पर भजन प्रतियोगिता का कार्यक्रम रखा गया था | जिसमें 6 जिलों की महिलाएं भाग लेने पहुँची थीं | नजफगढ़ ,उत्तमनगर ,सुभाष नगर , जनकपुरी , द्वारका ,तिलकनगर 6 जिले इसमें आए थे |यह एक विभाग का कार्यक्रम था |  
हर जिले से दो दो टीम आई थीं सबका अपना एक ड्रेस कोड था | सभी बहुत ही व्यवस्थित रूप से कमरे में बिछी दरिओं पर बैठी थी | हम सब निरीक्षिकायें और जज कुर्सिओं पर बैठे थे | सामने माँ सरस्वती की प्रतिमा रखी गई थी | महिलाएँ क्योंकि सुबह से निकली थी दूर दूर से इसमें भाग लेने के लिए इसलिए आते ही उनको हल्का फुल्का चाय नाश्ता दिया गया था | कुछ जज समय पर नहीं पहुँच पाए थे इसलिए उनका इंतज़ार किया जा रहा था क्योंकि उनकी कोशिश थी जो जज हों वो दूसरे विभाग से ही हों तो बहुत अच्छा रहेगा | 
                    उतनी देर सब भाग लेने वाली मंडलिओ को एक भजन का एक एक अंतरा बोलने के लिए कहा गया अपने अपने वाद्दय के साथ | बहुत ही सुन्दर भजन सुनने को मिले | सबको उनकी कमिओं के बारे में बताया गया | इतना सब होने में 12.25 हो चुके थे तब तक जज भी पहुँच चुके थे |  
           अब शुरू हुई सुबह से परीक्षित भजन प्रतियोगिता | सबसे पहले उसके कुछ नियम उन सबको समझाए गए जो निम्नलिखित हैं .....
1. कोई भी फ़िल्मी भजन या फ़िल्मी धुन पर भजन नहीं होना चाहिए |
2. भजन 5 से 7 मिनट के बीच ख़त्म हो जाना चाहिए |
3. भजन सब अपनी ढोलक और कोई भी एक और वाद्द्य यंत्र के साथ गया जाना चाहिए |
एक विडियो गणेश वंदना से शुरू करते हुए :--



             प्रतियोगिता शुरू करने से पहले सभी जज द्वारा  दीप प्रज्वलित किया गया | अब एक अध्यापिका ने संभाला माइक और गणेश वंदना गाई उसके बाद एक एक मंडली को बड़े सलीके से स्टेज पर बुलाया गया और उनका भजन सुना गया | एक अध्यापिका समय का ध्यान रख रही थी बाकी सब उनको उत्साहित करने के लिए भजन ख़तम होते ही ताली बजवाते और फिर दूसरी मंडली के सदस्यों को आमंत्रित किया जाता स्टेज पर | जब सब मंडलियाँ गा चुकी तो परिणाम घोषित करने से पहले एक जज ने आकर उनको समझाया कि किस प्रकार से नंबर दिए गए हैं जैसे कि ड्रेस कोड के 2 नंबर बताये गए थे फ़िल्मी धुन पर नंबर काटे गए थे या किसी  का भजन सरल भाषा में नहीं था तो उसके भी नंबर काटे गए थे ,कोई मंडली में अगर सारे लोग नहीं गा रहे थे , लय में नहीं गा रहे थे तो उनके नम्बर काटे गए थे |
                    इसके बाद परिणाम घोषित किया गया जिसमें हमारी उत्तमनगर की एक मंडली को प्रथम और तिलकनगर जिले की एक मंडली को द्वितीय घोषित किया गया | मंडली के सभी सदस्यों एवं बाकी सब मंडलियो को भी एक एक बेडशीट उपहार स्वरुप दी गई थी | अब दो चुनी हुई मंडलियाँ अपने भजन लेकर फाइनल में झंडेवालान मंदिर में प्रतियोगिता में शामिल होंगीं |
           सब इसके बाद जाने के लिए नीचे आ गए यहाँ बड़े व्यवस्थित तरीके से सबको बासंती चावल और नमकीन चावल दिए गए जिसे लेकर सब मधुर यादों संग वापिसी के लिए चल दिए |
वहाँ की कुछ तस्वीरें आप तक पहुंचाती हूँ ....














                                                        रिपोर्टर :--- सरिता भाटिया