गुरुवार, 22 जनवरी 2015

कन्यापूजन [लघुकथा]

सुमित्रा आंटी बाहर आवाजें लगा लगा कर कन्याओं को इकठ्ठा कर रही थी ,क्योंकि वो काफी सक्षम है और कन्यापूजन बहुत विधि विधान से करती हैं और कन्याओं को खूब दान दक्षिणा देती हैं ....
पड़ोसन आंटी बोली देखो कितना अच्छे से कन्यापूजन करती है सुमित्रा ,... इसे कहते हैं भक्ति ,पूजा ...
सुमित्रा आंटी के अंदर जाते ही  गली में औरतें कानाफूसी करने लगीं  ... तुम्हे पता है .... कन्यापूजन से एक दिन पहले सुमित्रा आंटी ने अपनी बहु को घर से निकाल दिया |
अच्छा... क्यों भला ? मैंने पूछ लिया
 उसने फिर से एक कन्या को जन्म दिया था ना इसलिए एक औरत बोली ....
यह सुनकर मैं सन्न खड़ी थी और सोचने लगी कि आखिर यह कैसा कन्यापूजन है ??