शनिवार, 18 जून 2016

दहेज़

जब इंदु के बेटे की शादी के लिए लड़की पसंद कर ली गई तो घर में ख़ुशी का माहौल था | .......
इंदु शुरू से ही दहेज़ के खिलाफ थी इसलिए उसने सबसे पहले ही कहना शुरू कर दिया कि हमें सादगी से शादी करनी है ,पर कोई सुनने को तैयार नहीं था | सब कहने लगे आपको सादगी से करनी है पर लड़की वालो के कुछ अरमान होते हैं ...लड़की के भी अरमान हैं ....
आखिर इंदु ने कहा ठीक है जो आप सबको ठीक लगे कर लीजियेगा ... पर मुझे ज्यादा तामझाम नहीं चाहिए यह बात वहां तक पहुंचा दीजिये |
फिर बात छिड़ी कि वो लड़की वाले हैं अगर वो लड़के को 11,000  रुपये शगुन दे रहे हैं सूट दे रहे हैं तो हम कोई कम थोड़ी ना हैं .. 5100 लड़की को और दो सूट तो बनते ही हैं |
बाकी डिब्बे वगेरह वो ज्यादा देंगे हम कुछ कम कर देंगे |  ... जैसे तैसे  सगाई की बात खत्म हुई ...
फिर त्यौहार आने लगे तो लड़की वाले पूछने लगे हमने त्यौहार देने आना है .. पर इंदु ने पहले ही कह दिया हमारे यहाँ शादी के बाद ही त्यौहार वगेरह करते हैं ...
जिस दिन त्यौहार मनाने सब बैठे तो सभी इकट्ठे बैठे थे ....
तभी इंदु की दादी सास ने पूछा ... इंदु बेटे के ससुराल से क्या आया है त्यौहार पर ...इंदु ने कहा मैंने मना कर दिया वो तो आना चाहते थे .... पर हमें कुछ नहीं चाहिए ...
दादी सास बोली वाह तुमने तो लड़की वालों के पैसे बचा दिए ... तभी उसके ससुर बोले इसने उनकी बेइज्जती कर दी है ऐसा कहकर .. मैं उनको दोबारा बुलाता हूँ आकर मिलें ....
इंदु अवाक थी यह सब सुनकर उसने दहेज़ के लिए मना करके उनकी कैसे बेइज्जती कर दी थी .....