शनिवार, 31 मई 2014

मांडवी प्रकाशन के दो दशक

दोस्तों 29.05.2014 का दिन कुछ विशेष रहा विशेषता का श्रेय जाता है मांडवी प्रकाशन के मनु भारद्वाज 'मनु'जी को जिन्होंने अपने दमदार निर्देशन में मांडवी प्रकाशन के बीते 20 बरसों का लेखा जोखा दिया एक शानदार सम्मान समारोह के जरिये जिसमें कुछ विदेशी और बहुत से देसी दोस्तों से मिलने का सुअवसर प्राप्त हुआ | एक दिन पहले ही मनु जी से बात हुई कि मैं भी इसमें कविता पाठ करना चाहती हूँ तो बड़ी ही सरलता से उन्होंने इसके लिए मुझे आमंत्रित कर दिया अपने इस शानदार आयोजन का हिस्सा बनने के लिए |
यह इतफ़ाक ही है कि कुछ दिन पहले मैंने बहुत ढूंडा कि किसकी गजलें पढ़ी मैंने जो मेरे अभी अभी दोस्त बने हैं पर नहीं मिला और जब मनु जी ने यह घोषणा की कि वो 17 बरस की उम्र से गजलें लिख रहे हैं तो ध्यान आया मैं जिनको ढूंड रही थी वो मनु जी ही हैं |
खुबसूरत मंच संचालन और अनेकों प्रतिभाओं के धनी भाई मनु भरद्वाज जी से मुलाकात कर और उनके बारे में आदरणीय सुभाष चंद्र जी से सुनकर अवाक रह गई वाकई उनमें जो आग है वो कहाँ तक पहुंची है कौन कौन नहीं उनका मुरीद हुआ इस बात का जायजा उस भरे हुए सभागार से लगाया जा सकता है ,जिसमें सब नामी गिरामी हस्तिओं ने हिस्सा लिया |
विशिष्ट अतिथि जिन्होंने मंच की शोभा बढाई उनमे सर्वश्री सुभाष चंदर, अध्यक्ष (प्रख्यात व्यंग लेखक), मलिकजादा जावेद (मशहूर शायर ), मोईन शादाब (मशहूर शायर /सहारा चेनल) ....... हिंदी के प्राध्यापक और चर्चित वक्ता हरीश नवल जी और मनु जी के गुरु जी (जो बरेली से आये थे ) 
विशिष्ट अतिथिओं के सम्मान के बाद शुरू हुआ विमोचन जिसमें राम जी ,सीमा जी और सिया जी ने भाग लिया सभी लेखक लेखिकाओं के साथ 
सखि रमा शर्मा जी द्वारा सम्पादित कुछ व्यक्तिगत और कुछ साँझा संकलनों का सफल विमोचन किया गया |

दिल की बातें                   : रमा शर्मा 
देहरी पर दीपक                : रमा शर्मा 
अपना अपना आसमान    : संपादित रमा शर्मा (साझा काव्य संकलन)
अपनी अपनी धरती         : संपादित रमा शर्मा (साझा काव्य संकलन)
अपने अपने सपने            : संपादित रमा शर्मा (साझा काव्य संकलन)
भीड़ में तन्हा                   : अक्षित शर्मा 
तितलियों के ख्याल         : सीमा गुप्ता 

विशेषकर अपनी प्यारी सखी सखि सिंह की आभारी हूँ जिसने समय का अभाव होते हुए भी मुझे बोलने का मौका दिया और भाई राजीव तनेजा जी जो कभी भी किसी का ख़ास लम्हा कैमरे में कैद करने से नहीं चूकते ,शुक्रिया सखि और राजीव जी ...
मांडवी प्रकाशन की शान में दो पंक्तियाँ जो मैंने अपनी रचना से पहले पढ़ी

मंच मांडवी का सजा खुश हैं अतिथी विशेष
पूर्ण हुए हैं दो दशक शुभकामना अशेष ||

 —