रविवार, 15 सितंबर 2013

प्रथम पुरूष को श्रद्धांजलि

कल एक अजीब वाकया हुआ ,मुझे अपनी फेसबुक मित्र पूनम माटिया जी का फ़ोन आया मेरा हाल चाल पूछने के बाद उन्होंने पूछा 
पूनम :आपकी दीपक अरोड़ा जी से कब बात हुई 
मैं :     यही कोई 29 अगस्त को वोह भी केवल whatsapp पर  msg के                   द्वारा क्योंकि मैंने अपनी एक कविता उनको पोस्ट की क्यों ?
          क्या हुआ ? 
पूनम:मुझे किसी का msg आया दीपक अरोड़ा is no more.
मैं:     आपने कन्फर्म किया वोह anjum वाले ही हैं या कोई और ना हो 
पूनम:जी उसने कहा गंगानगर वाले ,आपके पास उनका नंबर होगा आप               उनको कॉल करके देखो और मुझे बताओ क्योंकि मेरे पास उनका               नंबर डिलीट हो गया |
मैं :     ठीक है मैं बात करके आपको बताती हूँ |

         दोस्तो मैंने डरते डरते कांपते हाथों से फ़ोन किया और वोह दीपक जी ने ही उठाया| उनसे थोड़ी देर बात की उन्होंने बताया एक सप्ताह पहले दिल्ली में ही था आपसे मिलने नहीं आ पाया अब दोबारा जरुर आयूंगा |
मैंने पूनम जी को फ़ोन लगाया और बताया आपको गलती लगी है उनसे तो मेरी बात हुई आप msg भेजने वाले से पूछिए कि किस दीपक अरोड़ा जी की बात कर रहे हैं |उन्होंने भी चैन की सांस ली चलो मैं दोबारा बात करती हूँ यह कहकर |
                 इस बातचीत के बाद मैंने ऐसे ही अचानक फेसबुक पर नजर डाली तो वहां पर सबसे पहला जो स्टेटस फ़्लैश हुआ वोह सरोज सिंह जो मेरी जयपुर से बहुत अच्छी दोस्त हैं उनका था और वो वहां किसी दीपक अरोड़ा जी को श्रद्धांजलि दे रहीं थी ,फिर कमेंट्स में ही मैंने उनसे पूछा अरे यह दीपक अरोड़ा जी कौनसे हैं जिनको आप श्रद्धांजलि दे रही हैं तो उन्होंने बताया कि वोह उनके फेसबुक भाई हैं और साथ में उनका फेसबुक लिंक भी दिया | तब मैंने वहां उनकी वाल पर जाकर देखा |
    बहुत दर्दनाक हृदयविदारक घटना ने मन ख़राब सा कर दिया एक दम झकझोर कर रख दिया | यह दीपक जी भी वहीँ गंगानगर के ही रहने वाले थे एक कवि ह्रदय हंसमुख व्यक्तित्व लिए अन्दर कितनी बेचैनी लिए घूमता है आज इन्सान कब क्या हो पल भर की खबर नहीं |फिर भी नफरतें पाले घूमते हैं दूर रहो पर प्यार से रहो बस यही गुज़ारिश है मेरी सभी दोस्तों से | उनके ब्लॉग 'प्रथम पुरूष 'पर जाकर भी उन्हें करीब से जानें | आप अगर कमेंट करें भी तो शायद कोई उसका जवाब नहीं देगा .....
परमात्मा उनकी आत्मा को शांति दे एवं सभी परिजनों को यह दुःख सहने की ताकत दे |

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें