दिवस : शनिवार
दिनांक : 16 अगस्त , 2014.
आज की काव्यगोष्ठी रक्षाबंधन,जन्माष्टमी और स्वतन्त्रता दिवस के मद्देनजर मेल मिलाप काव्यगोष्ठी के रूप में पटेल नगर में श्री पंकज त्यागी जी के घर पर प्रथम त्यागी मेमोरियल ट्रस्ट एवं हम सब साथ साथ के तत्वधान में रखी गई |
इसका शुरू होने का समय तो था 4.30 बजे ,लेकिन काव्यधारा की धाराएँ दूर दूर से चल कर आ रहीं थी इसलिए थोड़ा विलम्ब हुआ तो काव्यगोष्ठी शुरू होते होते 5.30 बज गए |
काव्यगोष्ठी का शुभआरंभ प्रथम त्यागी की तस्वीर के आगे दीप प्रज्वलित कर किया गया जो सबने मिलकर किया |इसके बाद शुरू हुई काव्यगोष्ठी |
काव्यगोष्ठी की मुख्य अतिथि एवं अध्यक्षा का कार्य निर्वाह किया मेरी माँ समान सुश्री डॉ.सरोजिनी प्रीतम जी ने ,जो निश्चय ही किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं |
बहुमुखी प्रतिभा के धनी एवं हास्य की पोटली लिए अपने चिरपरिचित अंदाज में इसका सशक्त संचालन किया श्री किशोर श्रीवास्तव जी ने | जिन्होंने शुरू से लेकर अंत तक सब को अपनी मंत्रमुग्ध आवाज में बांधे रखा |
सह संयोजक श्री पंकज त्यागी जी एवं मंजू त्यागी जी रहे ,जिन्होंने हम सब कविओं को झेला |
इस काव्यगोष्ठी को आयोजित करने का श्रेय दिया गया दीपक गोस्वामी जी एवं सुषमा शर्मा जी को जिन्होंने कविओं को व्हाट्सएप्प से निकाल कर ड्राइंग रूम में बिठा दिया |
काव्यगोष्ठी का शुभारम्भ सरस्वती वंदना गाकर किया गया मेरी छोटी बहन जैसी प्रियंका राय द्वारा ,जिसकी सुरीली आवाज ने समय बांध दिया |
उसके बाद संजय कश्यप जी ने अपनी रचना से सब का मन जीता ,फिर उनकी धर्मपत्नी भावना जी ने अपनी भावनाएं प्रकट कीं ,तो बस धीरे धीरे एक के बाद एक सब रचनाएँ पढते गए और काव्यधारा निरंतर बहती चली गई |
काव्यगोष्ठी में क्योंकि घरेलू गेट टू गेदर था इसलिए इसमें 16 -17 वक्ता थे इसलिए सब अपनी अपनी रचनाएँ संतोषजनक तरीके से पढ़ते चले गए | मुख्य वक्ता जिन्होंने अपना जलवा दिखाया वो हैं ...
श्री अरविन्द पथिक जी बहुत ही ओजस्वी वीर रस के कवि
सुषमा भंडारी जी ने एक रचना ,एक गीत गया |
पूनम माटिया जी ने एक नज्म और एक गजल पढ़ी |
मेरी प्यारी दी शशि श्रीवास्तव जी ने दो रचनाएँ पढ़ी |
सोमा बिलास जी ने हिंदी कम जानते हुए भी अपनी रचना में हिंदी का अच्छा परिचय दिया |
सुषमा शर्मा जी ने भी दो रचनाएँ नारी के ऊपर ही पढ़ी|
पंकज त्यागी जी ने भी अपनी रचनाओं की गहराई का परिचय दिया |प्रियंका राय ने माँ पर एक भावपूर्ण गीत गाया और सबको माँ के आँचल की छाँव में ले गई सब आँसू पोंछते हुए देखे गए ,एक रचना नारी और रस्सी पर सुनाई ,बहुत दमदार |
दीपक गोस्वामी जी ने ,निवेदिता झा जी ,संजय कश्यप जी,भावना शर्मा जी ,रमेश बंगलिया जी ने भी बारी बारी रचनाएँ पढ़ी |
भावना शुक्ला जी जो प्राची की संपादिका हैं कुछ दोहे पढ़े और एक रचना
श्री श्री किशोर वास्तव जी जिन्होंने बीच बीच में अपने व्यंगात्मक अंदाज में अपनी रचनाएँ धीरे धीरे सब पढ़ डाली |
और स्वयं मैंने सरिता भाटिया ने राखी पर दो कुण्डलिया और मेट्रो पर एक रचना पढ़ी |
आखिर में सुश्री डॉ.सरोजिनी प्रीतम जी का फूलों के हार पहनाकर उनका सबके द्वारा स्वागत किया गया और खचेक खचेक यानि सबके साथ कुछ यादगार तस्वीरें ली गई ,इसके बाद उन्होंने अपनी हास्य क्षणिकाएं सुनाई इस आयोजन के लिए सबका धन्यवाद किया और ऐसी इच्छा जताई की ऐसी मेल मिलाप गोष्ठियां होती रहनी चाहिये | ताकि कम लोगों में सबको ज्यादा जानने का मौका मिले |
अंत में श्री किशोर श्री वास्तव जी ने सबका धन्यवाद किया एक सफल और सार्थक गोष्ठी के लिए और सबको भोजन के लिए आमंत्रित किया |
तब तक रात के 8.15 हो चुके थे ,सबने स्वादिष्ट भोजन का आनन्द लिया और सब मधुर यादें लिए हुए अपनी अपनी राह चल दिए ,फिर एक और गोष्ठी में मिलने का वादा करते हुए |
विशेष :--
आज का आयोजन बहुत बढ़िया रहा क्योंकि इसमें कम लोग थे और सबको एक दूसरे को जानने का बेहतर मौका मिला ,भविष्य में ऐसे ही आयोजनों की उम्मीद है |
शशि दी ,किशोर सर और पंकज त्यागी जी और मंजू त्यागी जी की ख़ास आभारी हूँ |
मुफ्त सलाह :--
समय का अगर थोडा सा ध्यान रखा जाये तो समय पर पहुंचे और समय पर ही वापिस जा सकते हैं ,इसमें चाय पानी रखा जाये ना की खाना ताकि समय पर घर पहुँच कर खाना खाया जा सके और खाने के प्रबंध से भी बच सकते हैं |
सबसे ख़ास और अहम बात फिर वोही गंतव्य स्थान पर पहुँचने की ,जिसमें मेट्रो का रूट तो शामिल होता ही है उसके बारे में जरुर बताया जाये कहाँ से अंदर मुड़ना है वहां सड़क कहीं खोद तो नहीं दी या टेंट से रास्ता बंद तो नहीं है इस चीज का ख़ास ध्यान रखा जाये,तो इससे काफी समय की बचत हो सकती है और परेशानी से बचा जा सकता है |
लेखिका :--सरिता भाटिया
दिनांक : 16 अगस्त , 2014.
आज की काव्यगोष्ठी रक्षाबंधन,जन्माष्टमी और स्वतन्त्रता दिवस के मद्देनजर मेल मिलाप काव्यगोष्ठी के रूप में पटेल नगर में श्री पंकज त्यागी जी के घर पर प्रथम त्यागी मेमोरियल ट्रस्ट एवं हम सब साथ साथ के तत्वधान में रखी गई |
इसका शुरू होने का समय तो था 4.30 बजे ,लेकिन काव्यधारा की धाराएँ दूर दूर से चल कर आ रहीं थी इसलिए थोड़ा विलम्ब हुआ तो काव्यगोष्ठी शुरू होते होते 5.30 बज गए |
काव्यगोष्ठी का शुभआरंभ प्रथम त्यागी की तस्वीर के आगे दीप प्रज्वलित कर किया गया जो सबने मिलकर किया |इसके बाद शुरू हुई काव्यगोष्ठी |
काव्यगोष्ठी की मुख्य अतिथि एवं अध्यक्षा का कार्य निर्वाह किया मेरी माँ समान सुश्री डॉ.सरोजिनी प्रीतम जी ने ,जो निश्चय ही किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं |
बहुमुखी प्रतिभा के धनी एवं हास्य की पोटली लिए अपने चिरपरिचित अंदाज में इसका सशक्त संचालन किया श्री किशोर श्रीवास्तव जी ने | जिन्होंने शुरू से लेकर अंत तक सब को अपनी मंत्रमुग्ध आवाज में बांधे रखा |
सह संयोजक श्री पंकज त्यागी जी एवं मंजू त्यागी जी रहे ,जिन्होंने हम सब कविओं को झेला |
इस काव्यगोष्ठी को आयोजित करने का श्रेय दिया गया दीपक गोस्वामी जी एवं सुषमा शर्मा जी को जिन्होंने कविओं को व्हाट्सएप्प से निकाल कर ड्राइंग रूम में बिठा दिया |
काव्यगोष्ठी का शुभारम्भ सरस्वती वंदना गाकर किया गया मेरी छोटी बहन जैसी प्रियंका राय द्वारा ,जिसकी सुरीली आवाज ने समय बांध दिया |
उसके बाद संजय कश्यप जी ने अपनी रचना से सब का मन जीता ,फिर उनकी धर्मपत्नी भावना जी ने अपनी भावनाएं प्रकट कीं ,तो बस धीरे धीरे एक के बाद एक सब रचनाएँ पढते गए और काव्यधारा निरंतर बहती चली गई |
काव्यगोष्ठी में क्योंकि घरेलू गेट टू गेदर था इसलिए इसमें 16 -17 वक्ता थे इसलिए सब अपनी अपनी रचनाएँ संतोषजनक तरीके से पढ़ते चले गए | मुख्य वक्ता जिन्होंने अपना जलवा दिखाया वो हैं ...
श्री अरविन्द पथिक जी बहुत ही ओजस्वी वीर रस के कवि
सुषमा भंडारी जी ने एक रचना ,एक गीत गया |
पूनम माटिया जी ने एक नज्म और एक गजल पढ़ी |
मेरी प्यारी दी शशि श्रीवास्तव जी ने दो रचनाएँ पढ़ी |
सोमा बिलास जी ने हिंदी कम जानते हुए भी अपनी रचना में हिंदी का अच्छा परिचय दिया |
सुषमा शर्मा जी ने भी दो रचनाएँ नारी के ऊपर ही पढ़ी|
पंकज त्यागी जी ने भी अपनी रचनाओं की गहराई का परिचय दिया |प्रियंका राय ने माँ पर एक भावपूर्ण गीत गाया और सबको माँ के आँचल की छाँव में ले गई सब आँसू पोंछते हुए देखे गए ,एक रचना नारी और रस्सी पर सुनाई ,बहुत दमदार |
दीपक गोस्वामी जी ने ,निवेदिता झा जी ,संजय कश्यप जी,भावना शर्मा जी ,रमेश बंगलिया जी ने भी बारी बारी रचनाएँ पढ़ी |
भावना शुक्ला जी जो प्राची की संपादिका हैं कुछ दोहे पढ़े और एक रचना
श्री श्री किशोर वास्तव जी जिन्होंने बीच बीच में अपने व्यंगात्मक अंदाज में अपनी रचनाएँ धीरे धीरे सब पढ़ डाली |
और स्वयं मैंने सरिता भाटिया ने राखी पर दो कुण्डलिया और मेट्रो पर एक रचना पढ़ी |
आखिर में सुश्री डॉ.सरोजिनी प्रीतम जी का फूलों के हार पहनाकर उनका सबके द्वारा स्वागत किया गया और खचेक खचेक यानि सबके साथ कुछ यादगार तस्वीरें ली गई ,इसके बाद उन्होंने अपनी हास्य क्षणिकाएं सुनाई इस आयोजन के लिए सबका धन्यवाद किया और ऐसी इच्छा जताई की ऐसी मेल मिलाप गोष्ठियां होती रहनी चाहिये | ताकि कम लोगों में सबको ज्यादा जानने का मौका मिले |
अंत में श्री किशोर श्री वास्तव जी ने सबका धन्यवाद किया एक सफल और सार्थक गोष्ठी के लिए और सबको भोजन के लिए आमंत्रित किया |
तब तक रात के 8.15 हो चुके थे ,सबने स्वादिष्ट भोजन का आनन्द लिया और सब मधुर यादें लिए हुए अपनी अपनी राह चल दिए ,फिर एक और गोष्ठी में मिलने का वादा करते हुए |
विशेष :--
आज का आयोजन बहुत बढ़िया रहा क्योंकि इसमें कम लोग थे और सबको एक दूसरे को जानने का बेहतर मौका मिला ,भविष्य में ऐसे ही आयोजनों की उम्मीद है |
शशि दी ,किशोर सर और पंकज त्यागी जी और मंजू त्यागी जी की ख़ास आभारी हूँ |
मुफ्त सलाह :--
समय का अगर थोडा सा ध्यान रखा जाये तो समय पर पहुंचे और समय पर ही वापिस जा सकते हैं ,इसमें चाय पानी रखा जाये ना की खाना ताकि समय पर घर पहुँच कर खाना खाया जा सके और खाने के प्रबंध से भी बच सकते हैं |
सबसे ख़ास और अहम बात फिर वोही गंतव्य स्थान पर पहुँचने की ,जिसमें मेट्रो का रूट तो शामिल होता ही है उसके बारे में जरुर बताया जाये कहाँ से अंदर मुड़ना है वहां सड़क कहीं खोद तो नहीं दी या टेंट से रास्ता बंद तो नहीं है इस चीज का ख़ास ध्यान रखा जाये,तो इससे काफी समय की बचत हो सकती है और परेशानी से बचा जा सकता है |
लेखिका :--सरिता भाटिया