बुधवार, 3 जून 2015

एक लोकार्पण यह भी ....


2 जून 2015 की शाम मेरे लिए अहम तो पहले से ही थी क्योंकि दिल्ली कोलाज ऑफ़ आर्ट की वार्षिक प्रदर्शनी होने जा रही थी ललित कला अकादिमी में और सभी स्टूडेंट्स का आर्ट वर्क इसमें लगने जा रहा था यानि आपकी पूरे वर्ष की मेहनत ... आपने क्या सीखा ,कैसा सीखा कहाँ किसमें कितने सुधार की जरूरत है ..वगेरह वगेरह ..
इसलिए इसकी तैयारी लगभग दो महीने पहले शुरू हो चुकी थी और दो दिन से सबके मन में एक ही सवाल था मुख्य अतिथि कौन होगा ?? जो शुभारम्भ करेगा हमारी सबकी प्रदर्शनी का .. ... शिक्षक भी इसका जवाब नहीं दे पा रहे थे .. कुछ कह रहे थे शायद अपने वर्तमान मुख्यमंत्री केजरीवाल जी आने वाले हैं ....
* शाम 5.30 बजे का समय था शुभारम्भ का ... सब स्टूडेंट्स और अतिथिगण पधार चुके थे और अपना अपना      स्थान ले चुके थे ...
* लगभग 6 बजे ' दिल्ली कोलाज ऑफ़ आर्ट ' के संस्थापक ' एवं प्रिंसिपल श्री अश्वनी कुमार पृथ्वीवासी ' जी ने    माइक अपने हाथ में लिया ....
* उन्होंने बताया कि कैटालाग में जो बाहर 25 लिखा है वो इसलिए है कि उनको 25 वर्ष हो गए हैं इस क्षेत्र से जुड़े    हुए तो यह रजत जयंती वर्ष है उनके कला प्रेम का ...और उस 25 में सब स्टूडेंट्स की तस्वीरें हैं ..
* कैटालाग  के सामने और पिछले पन्ने पर अंकित हैं सभी स्टूडेंट्स के, शिक्षकों के और अश्वनी सर के सभी          अजीज लोगों के नाम जो भी उनके जीवन में उनके कला क्षेत्र में उनके साथ रहे ....
* इसके बाद हर आमो ख़ास का स्वागत करते हुए उन्होंने सभी का धन्यवाद किया ...
* फिर बात आई कि मुख्य अतिथि कौन ?? आने वाले हैं .. तो सर ने कहा कोई भी मुख्य अतिथि नहीं आने वाला    है ... आप सभी लोग जो यहाँ उपस्थित हैं आप सभी मुख्य अतिथि हैं तो कोई भी आकर अतिथियों की कुर्सी        पर बैठ सकता है ...  '' पंच ऑफ़ द इवनिंग '' 
* सब एक दूसरे को देखने लगे कोई आगे जा ही नहीं रहा था ... मैं उठकर खड़ी हो गई और इंतज़ार करने लगी        कि कोई आये तो मैं भी जाऊँ ...सर ने दोबारा दोहराया पर कोई आगे नहीं बढ़ा .. फिर मैं सबसे पहले सर के          पास जाकर खड़ी हो गई .. सर ने और लोगों को भी कहा आने के लिए तो फिर और लोग निकल कर आये ...
* सबका परिचय करवाया गया और बैठने को कहा गया ... पुष्पगुच्छ से सबका स्वागत किया गया ... फिर          सबने मिलकर कैटालाग का लोकार्पण किया और कला प्रदर्शनी का शुभारम्भ ... 
* इस तरह से अश्वनी सर ने हमारी शाम को चार चाँद लगा दिए... 
* कुछ ने प्रदर्शनी देखने के बाद अल्पाहार लिया कुछ ने पहले पेट पूजा की और उसके बाद प्रदर्शनी देखी ....
* किसी का भी मन नहीं था वहां से आने का पर समय देखते हुए हमने तस्वीरों में कुछ यादें कैद की और घर की    और प्रस्थान किया...
* तस्वीरों के लिए ख़ास कर आभारी हूँ प्रदीप कुमार आर्यन जी [ 'जनता की खोज' मैगज़ीन के सह संपादक] एवं    उनके सुपुत्र विशाल का जिन्होंने ने मेरे अनमोल लम्हों को कैद किया .... 
   कुछ झलकियाँ आपके लिए भी...... 























वहां बहुत से बच्चों से इंटरव्यू लिया जा रहा था सब अपने अपने अनुभव बता रहे थे कि दिल्ली कोलाज ऑफ़ आर्ट से कैसे जुड़े और क्या पाया उन्होंने यहाँ आकर .. मैं भी अपने अनुभव बताना चाहती थी पर बता नहीं पाई पता नहीं क्यों ... ?? 
मैं जब से यहाँ आई मेरी छुपी इच्छा को निखार मिलने लगा पल पल मैं इसके अनुकूल ढलने लगी सर के और सभी शिक्षकों के अथक प्रयास का नतीजा आपके सामने है कि मैंने पहली सीढ़ी पर पाँव रख दिया है आगे प्रभु जैसा चाहे .. 
पहली सीढ़ी पर रखा है पाँव 
मिली है सबसे प्यार की छाँव 
इरादे फौलादी ,नेक हैं विचार 
पहुँचूँगी एक दिन मैं सच्ची ठाँव ... 

                                                       रिपोर्ट :---- सरिता भाटिया

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